दिल्ली

delhi

कोविड की दवाओं पर राहत क्यों नहीं दे रही केंद्र सरकार ?

By

Published : May 16, 2021, 2:30 PM IST

संकट के इस समय में कोविड वैक्सीन, जीवन रक्षक दवाओं और ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर पर लगने वाले टैक्स को खत्म कर दिया जाए, तो आम जन के लिए यह बहुत बड़ी राहत होगी. लेकिन दूसरी ओर सरकार का कहना है कि टैक्स हटा देने से कीमतें बढ़ जाएंगी और राज्यों की आमदनी पर भी प्रभाव पड़ेगा. टैक्स विशेषज्ञों ने सरकार की इस दलील को सही नहीं माना है. उनके अनुसार अगर सरकार चाहे तो राहत दे सकती है.

etv bharat
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

हैदराबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुशासन के लिए जिन 10 सिद्धान्तों का खुद निर्धारण किया है, उनमें से एक कहता है कि सरकार की सभी नीतियों के केंद्र में जनहित होना चाहिए. लेकिन जिस तरीके से वह कोविड समस्या का मुकाबला कर रहे हैं, उनमें इस सिद्धान्त की भावना गायब है. एक विचित्र तर्क देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कह दिया कि कोविड के इलाज में उपयोग होने वाली दवाओं पर से टैक्स हटा दिया जाएगा, तो यह लोगों के हित में नहीं होगा.

हाल ही में प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से कोविड वैक्सीन, जीवन रक्षक दवा और ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर पर लगने वाले जीएसटी से राहत देने की अपील की थी. वित्त मंत्री ने अपने त्वरित जवाब में कहा कि टैक्स हटाने से उनकी कीमतें बढ़ जाएंगी. उन्होंने कहा कि अगर जीएसटी से पूरी छूट दे दी जाए, तो इनका उत्पादन करने वाली घरेलू कंपनियां इनपुट और इनपुट सेवाओं पर प्राप्त होने वाले टैक्स (इनपुट क्रेडिट) का लाभ नहीं उठा सकेंगी. उनके अनुसार अंत में इसका असर जनता पर पड़ेगा, क्योंकि कीमतें बढ़ जाएंगी.

पंजाब, छत्तीसगढ़ और दिल्ली ने उनका प्रतिवाद करते हुए कहा कि कोविड वैक्सीन और अन्य जीवन रक्षक दवाओं से फायदा उठाने का यह उचित समय नहीं है. उन्होंने कहा कि कोविड की वजह से होने वाली मौतें न जाने कितने परिवार को उजाड़ दिया है. ऐसे में वित्त मंत्री की दलील गले नहीं उतर रही है. इन सरकारों ने इस पर निर्णय लेने के लिए जीएसटी काउंसल की बैठक बुलाए जाने की मांग की है.

जीएसटी एक्ट की धारा 11(1) में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि जनता के हित में किसी भी वस्तु पर टैक्स से राहत दी जा सकती है. ऐसे में जबकि पूरा देश महामारी की चपेट में है, केंद्र अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकता है. बहुत सारे ऐसे विकल्प मौजूद हैं, जिसके जरिए दवा निर्माताओं को बिना नुकसान पहुंचाए ही जनता को फायदा दिया जा सकता है. घोर आश्चर्च की बात है कि केंद्र ऐसे प्रावधानों की अवधारणा को ही स्वीकार करने से मना कर रहा है.

अभी ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर पर 12 फीसदी और कोविड वैक्सीन पर पांच फीसदी जीएसटी वसूला जाता है. टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि निर्माताओं को बिना नुकसान पहुंचाए ही सौ फीसदी टैक्स पर राहत दी जा सकती है. इसके लिए जीएसटी काउंसल को एक नोटिफिकेशन जारी करना होगा. दो विकल्प मौजूद हैं. सरकार इनमें से किसी भी तरीके को अपनाकर आम आदमी को राहत दे सकती है. सरकार यह मानने को तैयार नहीं है कि इनपुट क्रेडिट का इसमें कोई चक्कर नहीं है. अगर कच्चे माल पर टैक्स छूट दे जाती है, तो इनपुट क्रेडिट का सवाल ही नहीं उठता है.

हालांकि, वित्त मंत्री ने कहा कि हमारा इरादा इन संकट की स्थितियों से फायदा उठाने का नहीं है. संकट के समय में हम टैक्स लगाना नहीं चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह का 70 फीसदी हिस्सा राज्यों को जाता है.

लेकिन फरवरी के पहले सप्ताह तक जीएसटी द्वारा संग्रहित राशि में से केंद्र ने राज्यों के हिस्से का दो लाख करोड़ रिलीज ही नहीं किया. इस परिप्रेक्ष्य में देखेंगे तो केंद्र का यह तर्क कि वह जीएसटी से फायदा नहीं उठा रहा है, थोथली दलील मालूम पड़ेगी.

कोविड रोगियों के इलाज के लिए परिवार वाले सबकुछ अपना दांव पर लगा रहे हैं. इन लोगों को राहत तभी मिलेगी, जब जीएसटी काउंसल की तत्काल बैठक बुलाई जाए और टैक्स पर राहत देने का निर्णय लिया जाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details