नई दिल्ली : कोविड -19 महामारी के प्रकोप से दुनियाभर से कई मौतें दर्ज की गई. इसका विनाशकारी प्रभाव शहरी और ग्रामीण भारतीय परिवारों के जीवनशैली पर पड़ा है. एसबीआई शोध के अनुसार, पिछले तीन सालों में औसत घरेलू ऋण लगभग दोगुना हो गया है.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष के अनुसार, पिछले तीन सालों में घरेलू कर्ज के बोझ में तेजी के पीछे प्राथमिक कारण कोविड-19 का प्रतिकूल प्रभाव है. इसके कारण पिछले वित्तीय वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई.
एसबीआई शोध के अनुमानों के अनुसार, जून 2018 में ग्रामीण परिवारों में औसत घरेलू ऋण 59,748 रुपये से बढ़ गया था जो कोविड के बाद 1,16,841 रुपये हो गया. इस तरह करीब 57,093 रुपये या 95 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. इसी तरह, शहरी परिवारों के क्षेत्र में, जून 2018 में औसत ऋण 1.2 लाख रुपये से बढ़कर लगभग 2.34 लाख रुपये हो गया. यहां भी 95 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह प्रवृत्ति घरेलू ऋण से जीडीपी अनुपात तक भी परिलक्षित होती है. अर्थशात्रियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण जीडीपी दर 2020-21 में तेजी से बढ़कर 37.3 प्रतिशत हो गया, जो 2019-20 में 32.5 प्रतिशत था.
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