हैदराबाद : फाइजर इंडिया देश में कोविड-19 वैक्सीन के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से इमरजेंसी उपयोग के लिए प्राधिकार की मांग करने वाली पहली फर्म बन गई है.
कोरोना वायरस से भारत में अब तक 96 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं. इसी बीच कोरोना महामारी से बचाव की कोशिशों के तहत वैक्सीन पर शोध किए जा रहे हैं. इसी बीच फाइजर पहली ऐसी कंपनी है जिसने DCGI से प्राधिकार प्राप्त करने का अनुरोध किया है.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक डीसीजीआई को सौंपे गए अपने आवेदन में फाइजर ने भारत में टीके के आयात, बिक्री और वितरण करने की अनुमति मांगी है. फाइजर ने न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल नियम 2019 के तहत विशेष प्रावधानों के अनुसार परीक्षणों में छूट भी मांगी है.
भारत में पांच टीके एडवांस क्लिनिकल परीक्षण के स्टेज में है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण किया जा रहा है. भारत बायोटेक और आईसीएमआर द्वारा संयुक्त रूप से विकसित वैक्सीन का पहले ही तीसरे चरण का नैदानिक परीक्षण शुरू कर दिया है.
दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 11 फीसदी लोगों की रैपिड एंटीजेन टेस्ट (RAT) रिपोर्ट नकारात्मक आई थी, लेकिन एक सितंबर से सात नवंबर के बीच RT-PCR टेस्ट में उनमें कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए.
एक आरटीआई के जवाब में स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार रैपिड एंटीजेन परीक्षणों में नकारात्मक पाए गए 56,862 रोगियों में से 32,903 लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया गया. इसमें से 3524 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए.
महाराष्ट्र
रविवार को डॉक्टरों ने कहा कि पुणे के एक अस्पताल में 17 स्वयंसेवकों को रूस में विकसित किए गए टीके- स्पूतनिक वी का टीका लगाया गया. रिपोर्टों के अनुसार, भारत ने रूस से 100 मिलियन खुराक खरीदी हैं.
स्पूतनिक वी वैक्सीन रूस के गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी और रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.