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विश्व जल सप्ताह 2021 में कोविड-19 मुद्दों को उठाया जाएगा

पानी की बर्बादी को रोकने, इसकी महत्ता को समझाने और लोगों को स्वच्छ जल मुहैया कराने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है. पहली बार 22 मार्च 1993 को विश्व जल दिवस मनाया गया.

विश्व जल सप्ताह 2021
विश्व जल सप्ताह 2021

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Published : Aug 23, 2021, 8:26 AM IST

हैदराबाद:विश्व के जल मुद्दों को उठाने के लिए विश्व जल सप्ताह (WORLD WATER WEEK) का आयोजन किया जाता है. यह सप्ताह इन मुद्दों का केंद्र बिंदु है. इस वर्ष स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय जल संस्थान(SIWI) इस सप्ताह को ऑनलाइन आयोजित कर रहा है. बता दें. इस बार विश्व जल सप्ताह (WORLD WATER WEEK) एक नए डिजिटल प्रारूप में आयोजित किया जाएगा. इसके जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दुनियाभर के लोग पानी से संबंधित चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए सहयोग कर सकें.

इसी सिलसिले में विश्व बैंक समूह 23 से 27 अगस्त तक होने वाले विश्व जल सप्ताह 2021 के 50 से अधिक सत्रों का आयोजन करेगा और उनमें भाग लेगा.

विषय-इस बारविश्व जल सप्ताह 2021 का विषय तेजी से लचीलापन बनाना है. इस विषय के तहत जलवायु संकट, पानी की कमी, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, जैव विविधता और कोविड-19 महामारी के प्रभावों जैसे मुद्दों को उठाया जाएगा. जानकारी के मुताबिक इस कार्यक्रम का आयोजन आमतौर पर स्टॉकहोम में किया जाता है. इस आयोजन में 135 से अधिक देशों के चार हजार लोगों की मेजबानी होती है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार का सम्मेलन पूरी तरह से डिजिटल होगा.

पानी-जल सतत विकास के मूल में है और सामाजिक-आर्थिक विकास, ऊर्जा और खाद्य उत्पादन, स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और स्वयं मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है. जल जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन का केंद्र भी है, जो समाज और पर्यावरण के बीच महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है. वहीं, बढ़ते वैश्विक जल संकट के बीच हर व्यक्ति और हर उद्देश्य के लिए महत्वपूर्ण संसाधन की बेहतर सुरक्षा के लिए पानी के 'वास्तविक मूल्य' को समझने के लिए मौलिक प्रश्न पूछा गया है.

भविष्य में जल संकट-संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज तीन में से एक व्यक्ति के पास सुरक्षित पेयजल नहीं उपलब्ध नहीं है और ऐसी आशंका है कि 2050 तक करीब 5.7 अरब लोग ऐसे क्षेत्रों में रह सकते हैं जहां साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी हो सकती है. इसके अलावा यह अनुमान है कि 2040 तक वैश्विक जल की मांग 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाए, जिससे महत्वपूर्ण संसाधन पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा.

जल संबंधी चुनौतियां-

  • डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ 2019 के मुताबिक करीब 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित रूप से पेयजल उपलब्ध नहीं है.
  • डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ 2019 के मुताबिक लगभग 2 बिलियन लोग बुनियादी जल सेवाओं के बिना स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर निर्भर हैं.
  • डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ 2019 के अनुसार वैश्विक आबादी के आधे से अधिक या 4.2 बिलियन लोगों के पास सुरक्षित रूप से स्वच्छता सेवाओं का अभाव है.
  • डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ 2019 की मानें तो अस्वच्छता और खराब पेयजल के चलते हर साल पांच साल से कम उम्र के करीब 297,000 बच्चे दस्त से मर जाते हैं.
  • डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ 2019 की रिपोर्ट के अनुसार दो अरब लोग ऐसी जगह रहते हैं जहां जल का दबाव रहता है.
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अनुसार 90 प्रतिशत प्राकृतिक आपदाएं मौसम से संबंधित होती हैं, जिनमें बाढ़ और सूखा शामिल हैं.
  • 80 प्रतिशत अपशिष्ट जल बिना साफ किए या पुन: उपयोग किए पारिस्थितिकी तंत्र में वापस चला जाता है.
  • दुनिया की लगभग दो-तिहाई सीमा पार नदियों में सहकारी प्रबंधन ढांचा नहीं है.
  • वैश्विक जल निकासी में कृषि का हिस्सा 70 प्रतिशत है.

भारत में जल संकट-

किसी भी देश की अच्छी अर्थव्यवस्था की रीढ़ सुरक्षित जल आपूर्ति होती है, लेकिन इसको अभी प्राथमिकता नहीं दी गई है. ऐसा अनुमान लगाया गया है कि भारत में जलजनित बीमारियों पर सालाना लगभग 600 मिलियन अमरीकी डालर का आर्थिक बोझ पड़ता है. यह सूखे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से सच है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में देश के एक तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है.

  • 1.39 अरब की जनसंख्या के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, लेकिन भारत में 50 प्रतिशत से भी कम आबादी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाया है.
  • ग्रामीण भारत में पेयजल आवश्यकताओं का 90 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में लगभग 50 प्रतिशत भूजल का योगदान है.
  • 2018 समग्र जल प्रबंधन सूचकांक (सीडब्ल्यूएमआई) ने उल्लेख किया कि 2050 तक आर्थिक सकल घरेलू उत्पाद का 6% खो जाएगा, जबकि पानी की मांग 2030 तक उपलब्ध आपूर्ति से अधिक हो जाएगी.
  • खाद्य आपूर्ति भी खतरे में है क्योंकि गेहूं और चावल की खेती के लिए अत्यधिक पानी की कमी का सामना करना पड़ता है.

भारत में सुरक्षित पेयजल

  • 75 फीसद से अधिक घरों में पीने का साफ पानी नहीं है, जबकि 2030 तक 40 फीसद आबादी के पास पीने का पानी नहीं होगा.
  • यूनिसेफ के आंकड़ों में कहा गया है कि जलजनित बीमारियों का अनुमानित आर्थिक बोझ लगभग 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर है क्योंकि रसायन 1.96 मिलियन घरों में पानी को दूषित करते हैं.
  • मुख्य रूप से फ्लोराइड और आर्सेनिक के माध्यम से पानी में प्रदूषण होता है.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत में अतिरिक्त फ्लोराइड 19 राज्यों में लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है, जबकि समान रूप से चिंताजनक रूप से, पश्चिम बंगाल में 15 मिलियन लोगों को अधिक आर्सेनिक प्रभावित कर सकता है.
  • इसके अलावा, भारत के 718 जिलों में से दो-तिहाई अत्यधिक पानी की कमी से प्रभावित हैं और जल सुरक्षा और सुरक्षा के लिए योजना की मौजूदा कमी एक प्रमुख चिंता का विषय है.
  • भारत में भूजल की कमी की तेज दर ऐसी चुनौतियों में से एक है, जिसे पिछले कुछ दशकों में ड्रिलिंग के ज्यादा प्रयोग के चलते इसे सबसे अधिक उपयोगकर्ता के रूप में जाना जाता है.
  • शहरी क्षेत्रों की बात करें तो करीब 15 शहरों के 50 मिलियन लोगों के पास सुरक्षित पानी नहीं है.

भारत में जल संकट के बारे में 10 बातें

  • भारत में पानी की गंभीर समस्या.
  • भारत के ताजे पानी का लगभग 80 प्रतिशत कृषि में उपयोग किया जाता है.
  • भारत की आधे से अधिक खेती योग्य भूमि जल-गहन फसलों के अधीन है.
  • भारत अन्य देशों की तुलना में भोजन के लिए पानी की मात्रा का कम से कम दोगुना उपयोग करता है.
  • भारतीय किसान अपनी फसलों के लिए भूजल निकालने के लिए मुख्य रूप से नलकूपों पर निर्भर हैं.
  • अनुमानों के मुताबिक आज भारत में 30 मिलियन से अधिक बोरवेल हैं.
  • भारत दुनिया के भूजल का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा खींचता है.
  • भारत के साठ प्रतिशत जिलों को भूजल पर गंभीर घोषित किया गया है.
  • भारत के घटते भूजल भंडार हमारे पीने के पानी को भी प्रभावित करते हैं.
  • देश के जल संकट की एक महत्वपूर्ण आर्थिक लागत है.

सरकार की पहल-

भारत सरकार वर्तमान में जल शक्ति अभियान और जल जीवन अभियान के लिए जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रही है, जिसे यूनिसेफ का भी समर्थन प्राप्त है.

जल शक्ति मंत्रालय के तहत ये परियोजनाएं संचालित होती हैं-

स्वजल-जल शक्ति मंत्रालय ने एक पायलट परियोजना के रूप में 'स्वजल' योजना को लॉन्च किया है, इस योजना को ग्रामीणों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक मांग-संचालित कार्यक्रम के रूप में तैयार किया गया है. स्वजल कार्यक्रम समुदायों को एकल गांव पेयजल आपूर्ति योजनाओं की योजना, डिजाइन, कार्यान्वयन और निगरानी करने और संचालन और रखरखाव के लिए सामुदायिक स्वामित्व को व्यवस्थित करने के लिए सशक्त बना रहा है.

28 राज्यों के 117 आकांक्षी जिलों में स्वजल के लिए लक्षित जनसंख्या लगभग 0.5 मिलियन प्रति वर्ष है. इस कार्यक्रम ने सबसे वंचित आकांक्षी जिलों में एकीकृत जल सुरक्षा योजना, व्यवहार परिवर्तन और सामुदायिक भागीदारी और जल गुणवत्ता निगरानी (डब्ल्यूक्यूएम) को प्राथमिकता देने में मदद की है. इसने 18.6 मिलियन लोगों को सुरक्षित पेयजल तक पहुंच प्राप्त करने में योगदान दिया.

जल जीवन मिशन (JJM)-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को 2024 तक हर ग्रामीण घर को पाइप से पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने की योजना की घोषणा की है. जुलाई, 2021 के दौरान, 24,84,454 परिवारों को कार्यात्मक घरेलू नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 315.69 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है.

जल शक्ति अभियान (JSA)-जल संचय पर प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन से प्रेरित, जल शक्ति अभियान (जेएसए) एक समयबद्ध, मिशन-मोड जल संरक्षण अभियान है. जेएसए दो चरणों में चलेगा: पहले चरण को 2019 में देश के 256 जल संकटग्रस्त जिलों के 2836 ब्लॉकों में से 1592 ब्लॉकों में 1 जुलाई से 30 सितंबर 2019 और 1 अक्टूबर से 30 नवंबर 2019 तक दो चरणों में लॉन्च किया गया था. 2020 में कोविड-19 के चलते जल शक्ति अभियान के दूसरे चरण को शुरू नहीं किया जा सका.

जल संकटग्रस्त जिले-

भारत के सबसे अधिक जल दबाव वाले क्षेत्रों की बात करें तों तमिलनाडु के 541 ब्लॉक हैं, इसके बाद राजस्थान (218), उत्तर प्रदेश (139) और तेलंगाना (137), कई अन्य राज्य सूखे जैसी परिस्थितियों से जूझ रहे हैं. जहां 313 ब्लॉकों को संकटग्रस्त घोषित किया गया है, वहीं 1,186 ब्लॉक ऐसे हैं जहां पानी का अत्यधिक दोहन किया गया है. इसके अलावा, सीमित भूजल उपलब्धता वाले 94 ब्लॉक हैं.

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