सूरत :कोरोना की वजह से सूरत के कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ है. मिल में काम करने वाले मजदूरों की हालत तो खराब है ही साथ ही उद्योग चलाने वाले मालिकों को भी करोड़ों रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर डायमंड के आयात और निर्यात में कोरोना महामारी के दौरान उछाल देखा गया है.
हीरे के आभूषणों का निर्यात बढ़ा है, जबकि कोविड -19 महामारी के दौरान रफ हीरों का आयात भी बढ़ा है. आभूषणों के निर्यात से शहर में 8,000 करोड़ रुपये की आमदनी हो रही है, जिससे लोग आगे का भविष्य देख रहे हैं.
कपड़ा व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित
मार्च से मई का महीना सूरत कपड़ा बाजार के लिए मुख्य व्यापारिक सीजन होता हैं. इन तीन महीनों में आमतौर पर 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होता है लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण सूरत के कपड़ा व्यापारियों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
टेक्सटाइल मार्केट में 150 लोग कोरोना संक्रमति हुए हैं. राज्यों के बाहर के व्यापारी सूरत नहीं आ रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर के बाद सूरत नगर निगम भी सख्त हो गया है, जिस कारण टेक्सटाइल मार्केट में एक बार फिर लॉकडाउन जैसी स्थिति पैदा हो गई है.
सूरत में ढाई करोड़ मीटर ग्रे कपड़े का उत्पादन प्रतिदिन होता है. साथ ही 3.5 करोड़ मीटर कपड़ा सूरत में बाहर से आता है. इस व्यवसाय का औसत दैनिक कारोबार 250 करोड़ रुपये का है.
दूसरे राज्यों के व्यापारी नहीं आ रहे
'ईटीवी भारत' से बात करते हुए फोस्टा के निदेशक रंगनाथ शारदा ने कहा कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान व्यापार में गिरावट आई थी. इस सीजन कुछ उम्मीद थी कि व्यापारी एक बार फिर से लगभग 8,000 करोड़ रुपये का कारोबार कर सकते हैं. लेकिन कोविड -19 के मामले बढ़ने के कारण व्यापारी अपना टिकट कैंसिल करा रहे हैं.
शादी के सीजन में लगभग 6,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर होता हैं, जिसमें रमजान, अक्षय तृतीया, उगादी, स्कूल यूनिफॉर्म का व्यापार होता था, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के डर के कारण मजदूर अपने-अपने घर वापस जा रहे हैं.
केवल 350 ट्रकों का लोड
सूरत के एक कपड़ा व्यापारी श्रीकृष्ण बंका ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. जिन लोगों ने खरीदारी के लिए सूरत जाने की टिकट करवाई थी वे अब टिकट रद्द करवा रहे हैं. वे सात दिनों तक क्वारंटाइन नहीं रहना चाहते. इस सप्ताह केवल 350 ट्रक भेजे गए हैं और अगले सप्ताह भी कम ट्रक जा सकते हैं.
डायमंड व्यापर पर इसका असर न के बराबर
पिछले एक साल में लॉकडाउन के कारण देश के लगभग सभी उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, लेकिन सूरत के हीरा उद्योग पर इसका प्रभाव न के बराबर रहा. हीरे के आभूषणों का निर्यात बढ़ा है, जबकि कोविड -19 महामारी के दौरान रफ हीरों का आयात भी बढ़ा है. आभूषणों के निर्यात से शहर में 8,000 करोड़ रुपये की आमदनी हो रही है, जिससे लोग आगे का भविष्य देख रहे हैं.
जैसे-जैसे कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई, पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया, जिसने लगभग तीन महीने के लिए हीरा उद्योग को भी बंद कर दिया. हालांकि दुनिया में चरणबद्ध तरीके से बाजार खुलने के साथ, अंतरराष्ट्रीय बाजार में हीरे के आभूषणों की मांग बढ़ रही थी, जिससे हीरा उद्योग को एक ऊंचाई मिली.
इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार से मांग को पूरा करने में सबसे बड़ी चुनौती थी कि मुंबई से सूरत तक पॉलिश किए गए हीरे को कैसे लाए जाएं. उद्योग ने केंद्र और दोनों राज्य सरकारों से विशेष अनुमति मांगी. इसके बाद हीरे के आभूषण बनाने और मांग को पूरा करने जारी रखा.
8,000 करोड़ रुपये से अधिक के निर्यात में वृद्धि
वर्ष 2019-20 में रफ हीरों का आयात 48,621 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2020-21 में बढ़कर महामारी की अवधि में 56,055 करोड़ रुपये हो गया. इस प्रकार हीरे के आयात में 8000 करोड़ की बढ़ोतरी देखी गई.
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रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के क्षेत्रीय अध्यक्ष दिनेश नवाडिया ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि मुंबई में इस उद्योग को मुश्किलों के कारण कारोबार को सूरत में स्थानांतरित कर दिया गया. महाराष्ट्र में कोविड -19 मामलों की संख्या बढ़ती रही, सूरत से अधिक से अधिक हीरा व्यापारी काम करने लगे.