नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि अदालत की अवमानना की शक्ति को विधायी अधिनियम (legislative enactment) द्वारा भी छीना नहीं जा सकता और इसी के साथ उसने अदालत को 'नाराज करने तथा धमकाने' के लिए 25 लाख रुपये जमा ना कराने पर एक गैर लाभकारी संगठन (एनजीओ) के अध्यक्ष को अवमानना का दोषी ठहराया.
शीर्ष न्यायालय ने कहा, 'हमारा यह मानना है कि अवमानना करने वाला शख्स स्पष्ट तौर पर अदालत की आवमानना का दोषी है और अदालत को नाराज करने के उसके कदम को स्वीकार नहीं किया जा सकता.'
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि एनजीओ सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव दहिया अदालत, प्रशासनिक कर्मियों और राज्य सरकार समेत सभी पर 'कीचड़ उछालते' रहे हैं.
सात अक्टूबर को सुनाई जाएगी सजा
पीठ ने कहा, 'अवमानना के लिए दंड देने की शक्ति एक संवैधानिक अधिकार है जिसे विधायी अधिनियम से भी छीना नहीं जा सकता.' उसने दहिया को नोटिस जारी किया और उसे सात अक्टूबर को सजा सुनाने पर अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया. धन का भुगतान करने के संबंध में पीठ ने कहा कि यह भू-राजस्व के बकाया के रूप में लिया जा सकता है.