नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की उस अर्जी को बुधवार को स्वीकार लिया जिसमें उन्होंने पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तारी, जांच और संपत्ति की जब्ती के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्तियों को बहाल रखने के शीर्ष अदालत के पिछले महीने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए खुली अदालत में सुनवाई का अनुरोध किया. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि मौखिक सुनवाई के लिए अर्जी मंजूर की जाती है. मामले को 25 अगस्त, 2022 को सूचीबद्ध किया जाता है. पीठ ने अदालत कक्ष में कार्ति की पुनर्विचार याचिका पर गौर किया.
कार्ति ने 27 जुलाई के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक के संबंध में भी एक अर्जी दाखिल की है. अपनी पुनर्विचार याचिका में उन्होंने कहा है कि फैसले में त्रुटि स्पष्ट है और यह संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन कानून, 2016 के प्रावधानों के क्रियान्वयन पर एक फैसले में कहा था कि असाधारण मामलों में मुकदमा से पहले संपत्ति का कब्जा लेने से संबंधित धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों पर उसके फैसले से मनमाने क्रियान्वयन की गुंजाइश रहती है.
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि पीएमएलए के फैसले में धारा 8(4) से संबंधित प्रावधान को और स्पष्ट करने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने 27 जुलाई के अपने फैसले में कहा कि जब्ती का औपचारिक आदेश पारित होने से पहले धारा 8(4) के तहत विवादित संपत्ति का कब्जा लेने का निर्देश अपवाद होना चाहिए न कि नियम. धारा 8(4) ईडी को न्यायिक प्राधिकार द्वारा की गई अस्थायी जब्ती की पुष्टि के चरण में जब्त की गई संपत्ति पर कब्जा करने की अनुमति देती है.