नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने अपने गंभीर रूप से बीमार पिता को यकृत दान करना चाह रहे एक नाबालिग बच्चे की याचिका पर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है. प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामला आया जिसने उसकी अत्यावश्यकता पर विचार करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया.
नाबालिग के वकील ने पीठ से कहा कि उनके पिता गंभीर स्थिति में हैं और उनकी जान अंगदान करके ही बचाई जा सकती है. पीठ में न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिंह शामिल थे. उन्होंने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता (बेटा) अपने गंभीर रूप से बीमार पिता को यकृत दान करना चाह रहा है. हालांकि, इस मुद्दे से जुड़े कानून के तहत अंगदाता बालिग होना चाहिए.' शीर्ष अदालत ने कहा कि 12 सितंबर तक नोटिस का जवाब दिया जाए.