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छत्तीसगढ़ : 3 मिनट में देखिए 3.5 किलोमीटर की 300 डिब्बों वाली सबसे लंबी ट्रेन - 300 डिब्बों वाली सबसे लंबी ट्रेन

दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे ने देश की सबसे लंबी मालगाड़ी 'वासुकी' का सफल परिचालन किया. यह ट्रेन पांच ट्रेनों को मिलाकर बनाई गई थी. साढ़े तीन किलोमीटर की 'वासुकी' ट्रेन कोरबा पहुंची. दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे के लिए यह बड़ी उपलब्धि है.

सबसे लंबी ट्रेन
सबसे लंबी ट्रेन

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Published : Jan 23, 2021, 1:47 PM IST

कोरबा : दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे ने पांच मालगाड़ियों को एक साथ जोड़कर देश की सबसे लंबी ट्रेन 'वासुकी' का सफल परिचालन किया है. यह एक नया रिकॉर्ड है. कोयला ढुलाई के लिए इस मालगाड़ी ट्रेन का उपयोग किया जाएगा. इसे भिलाई से कोरबा के बीच चलाया जाएगा. इसकी दूरी 224 किलोमीटर है. हाल ही में 'शेषनाग' का भी सफल परिचालन किया जा चुका है, जिसकी लंबाई ढाई किलोमीटर है. शेषनाग, वासुकी के बाद देश की दूसरी सबसे लंबी ट्रेन है.

देश की सबसे लंबी मालगाड़ी वासुकी

ये मिलेगा लाभ
वासुकी के परिचालन से समय और क्रू स्टाफ की बचत होगी. उपभोक्ताओं को तुरंत डिलीवरी की सुविधा मिलेगी. दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे ने भारतीय रेल के इतिहास में पहली बार पांच मालगाड़ियों को एक साथ जोड़कर चलाया है. इस मालगाड़ी की कुल लंबाई 3.5 किलोमीटर के लगभग है.

लॉन्ग हॉल सुपर एनाकोंडा का हो चुका है परिचालन
फ्रेट ट्रेनों के परिचालन समय को कम करने, क्रू-स्टाफ की बचत और उपभोक्ताओं को तुरंत डिलीवरी के लिए लंबी मालगाड़ियों का परिचालन किया जा रहा है. 29 जून 2020 को तीन लोडेड मालगाड़ियों को एक साथ जोड़कर लॉन्ग हॉल सुपर एनाकोंडा (शेषनाग) गाड़ी का परिचालन किया गया था.

300 वैगन को जोड़कर लॉन्ग हाल रैक को चलाया गया
22 जनवरी 2021 को रायपुर रेल मंडल के भिलाई डी केबिन से कोरबा तक पांच लॉन्ग हाल रैक (वासुकी) का परिचालन किया गया. इस मालगाड़ी में 300 वैगनों को जोड़कर लॉन्ग हाल रैक को चलाया गया. इस लॉन्ग हाल मालगाड़ी ने भिलाई डी केबिन से कोरबा स्टेशन तक का सफर सात घंटे से भी कम समय में तय किया. इस प्रक्रिया में केवल एक लोको पायलट, एक सहायक लोको पायलट और एक गार्ड की आवश्यकता पड़ी.

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सुपर शेषनाग में एक लोको पायलट
सिंगल-सिंगल पांच रैक चलाने से पांच लोको पायलट, पांच सहायक लोको पायलट और पांच गार्ड की आवश्यकता होती है. सुपर शेषनाग में एक लोको पायलट, एक सहायक लोको पायलट और एक गार्ड की मदद से इस काम को अंजाम दिया जा रहा है. फोर्थ लॉन्ग हॉल रैक के परिचालन से क्रू-स्टाफ की बचत और रेलवे ट्रैक का सही इस्तेमाल हो रहा है.

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