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Chandrayaan 3 : सफल लॉन्चिंग के साथ पहली परीक्षा में पास हुआ चंद्रयान 3, जानिए मिशन के बारे में सबकुछ - moon mission Chandrayaan 3

श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया. आइए इसरो के चंद्रयान-3 मिशन (moon mission Chandrayaan 3) के बारे में विस्तार से सबकुछ जानते हैं.

Chandrayaan 3
चंद्रयान 3

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Published : Jul 13, 2023, 6:05 PM IST

Updated : Jul 14, 2023, 4:03 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लॉन्च किया (moon mission Chandrayaan 3). शुक्रवार दोपहर 02.35 बजे आंध्र प्रदेश के सतीश धवन स्पेस सेंटर (श्रीहरिकोटा) से इसकी लॉन्चिंग की गई.

चंद्रयान 3 मिशन का उद्देश्य : चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान कई पेलोड ले जा रहा है जो पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को चंद्रमा को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे. लेकिन मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कराना है. यह मिशन के पूर्ववर्ती चंद्रयान-2 के समान ही है, जो मिशन के अंतिम चरण के दौरान विफल हो गया था, जब विक्रम लैंडर चंद्र सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

लॉन्चिंग सफल

इजरायली निजी कंपनी के नेतृत्व वाला मिशन बेरेशीट चंद्रयान-2 के लॉन्च से पहले ऐसा करने में विफल रहा है. वहीं, जापानी निजी अंतरिक्ष कंपनी आईस्पेस के नेतृत्व वाला मिशन हकुतो-आर भी इस साल की शुरुआत में चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग पूरा करने में विफल रहा है.

चंद्रयान 3: एलवीएम-3 रॉकेट : चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च व्हीकल मार्क-III, (LVM-III) द्वारा अंतरिक्ष में लॉन्च किया जाएगा, जिसे पहले GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) मार्क-III के नाम से जाना जाता था. प्रक्षेपण यान के लिए यह चौथा मिशन है. यह दो S2000 ठोस रॉकेट बूस्टर से संचालित है जिसने टेकऑफ़ में मदद की. लॉन्च वाहन से ठोस बूस्टर अलग होने के बाद, इसे L110 लिक्विड स्टेज से संचालित किया जाएगा. लिक्विड स्टेज के अलग होने के बाद, CE25 क्रायोजेनिक चरण कार्यभार संभालेगा.

एलवीएम-3 रॉकेट

चंद्रयान-3 मिशन मॉड्यूल : मुख्य चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में तीन मॉड्यूल हैं- लैंडर मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल और रोवर मॉड्यूल. प्रणोदन मॉड्यूल (propulsion module) अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के चारों ओर एक इंजेक्शन कक्षा से 100 किलोमीटर की चंद्र कक्षा तक ले जाएगा. जबकि यह इसका प्राथमिक कार्य है, प्रणोदन मॉड्यूल एक पेलोड भी ले गया जो चंद्र कक्षा से पृथ्वी का वर्णक्रमीय और ध्रुवीय माप लेगा (polarimetric measurements of Earth from a lunar orbit).

चंद्रयान 3 मिशन

लैंडर RAMBHA-LP, ChaSTE और ILSA साइंस पेलोड ले गया जबकि रोवर APXS और LIBS ले गया. रोवर सहित लैंडर का वजन लगभग 1,750 किलोग्राम है. लैंडर का माप लगभग 2 गुणा 2 गुणा 1.1 मीटर है जबकि रोवर का माप लगभग 91 गुणा 75 गुणा 39 सेंटीमीटर है. रोवर और लैंडर दोनों को चंद्रमा पर लगभग 14 दिनों तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.

चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 में अंतर :हालांकि मिशन की संरचना एक समान है, फिर भी चंद्रयान 2 और चंद्रयान 3 मिशन के बीच कुछ अंतर हैं. दोनों मिशनों के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि जीएसएलवी-एमकेIII रॉकेट पर क्या ले जाया जा रहा है. जहां चंद्रयान-2 में विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर और एक ऑर्बिटर ले जाया गया था, वहीं चंद्रयान-3 सिर्फ एक लैंडर और एक रोवर के साथ लॉन्च हुआ.

चंद्रयान 3 मिशन रोवर
  • कहा जा रहा है कि चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 के साथ लॉन्च किए गए चंद्रमा के ऊपर पहले से ही मंडरा रहे ऑर्बिटर का उपयोग करेगा.
  • चंद्रयान-3 लैंडर मिशन 'लैंडर खतरे का पता लगाने और बचाव कैमरे' से लैस है. एक रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रयान-2 में जहां सिर्फ एक ऐसा कैमरा था, वहीं चंद्रयान-3 में ऐसे दो कैमरे लगाए गए हैं.
  • विक्रम लैंडर के पैर पिछले संस्करण की तुलना में अधिक मजबूत हैं. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ के मुताबिक लैंडिंग वेग को 3 मीटर/सेकंड से बढ़ाकर 2 मीटर/सेकंड कर दिया गया है. सोमनाथ ने कहा, 'इसका मतलब है कि 3 मी/सेकंड की गति पर भी, लैंडर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा.'
  • एक और बदलाव, विक्रम में अधिक ईंधन जोड़ा गया है ताकि इसमें यात्रा करने या फैलाव को संभालने की अधिक क्षमता हो. इसके अलावा, एक 'लेजर डॉपलर वेलोसिटी मीटर' नया सेंसर भी जोड़ा गया है, जो चंद्र इलाके को देखेगा.
  • चंद्रयान-3 मिशन में एक और अतिरिक्त लैंडर लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) भेजा जा रहा है, जो चंद्रमा प्रणाली की गतिशीलता को समझने के लिए है.

चंद्रयान 2 में कहां हुई चूक, इस बार ये रखा जा रहा ध्यान :जहां तक चंद्रयान 2 के फेल होने की बात है तो, इसरो प्रमुख ने पहले विवरण साझा किया था कि चंद्रयान -2 का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर पहचाने गए 500 मीटर x 500 मीटर लैंडिंग स्थान की ओर तेजी से बढ़ रहा था, इसके वेग को कम करने के लिए डिजाइन किए गए इंजन उम्मीद से अधिक तेज थे. इस बार, इसरो प्रमुख सोमनाथ ने कहा कि लैंडिंग का क्षेत्र 500 मीटर x 500 मीटर से बढ़ाकर 2.5 किमी से चार किमी कर दिया गया है.

इसरो चीफ ने कहा कि विक्रम लैंडर में इस बार अन्य सतहों पर अतिरिक्त सौर पैनल हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह जमीन पर कैसे भी उतरे, बिजली पैदा करे.

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर को नाइन इन-सीटू उपकरणों के साथ लॉन्च किया गया था जो अभी भी चंद्रमा की कक्षा में काम कर रहे हैं. इसीलिए चंद्रयान -3 मिशन के प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय माप (spectral and polarimetric measurements) का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेटरी अर्थ (SHAPE) नामक केवल एक उपकरण होगा.

अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-3 में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि क्या विफल हो सकता है और इसकी सुरक्षा कैसे की जाए और सफल लैंडिंग सुनिश्चित की जाए.

पहले के ये दो मिशन :पहला चंद्रयान मिशन 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था. यह मिशन चंद्रमा पर पानी की खोज के लिए था. बाद में इससे कई अन्य खोजें भी हुईं.

दूसरा मिशन, चंद्रयान -2, 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया गया था, लैंडर ने इसे चंद्र कक्षा में पहुंचा दिया, लेकिन बाद में चंद्रमा की सतह से सिर्फ 2.1 किमी ऊपर ये खो गया.

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Last Updated : Jul 14, 2023, 4:03 PM IST

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