नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए अधिनियम के प्रावधानों के तहत रोजरी एजुकेशन ग्रुप और उसके भागीदारों विनय अरन्हा और विवेक अरन्हा की 47.1 करोड़ रुपये की चार अचल संपत्तियों को कुर्क किया है. ईडी ने पुणे पुलिस द्वारा कॉसमॉस बैंक के शिवाजी विट्ठल काले की शिकायत पर विनय अरन्हा और विवेक अरन्हा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच शुरू की, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने संपत्ति के फर्जी दस्तावेज जमा करके कॉसमॉस बैंक से 20.44 करोड़ रुपये का ऋण लिया था. ईडी ने कहा कि इसकी जांच से पता चला है कि आरोपियों ने 2013-14 में कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक पुणे से कार लोन सहित कई लोन्स प्राप्त किए थे, बंधक के लिए गढ़े हुए संपत्ति के दस्तावेज जमा करके और लोन प्राप्त करने के लिए इनका अत्यधिक मूल्यांकन किया था, जिसके लिए वे अन्यथा अयोग्य थे.
विनय अरन्हा ने फर्जी कार्य चालान (रोजरी स्कूलों के नवीनीकरण की आड़ में) प्रस्तुत किया और फर्जी विक्रेताओं को ऋण वितरित किया, जिसे तुरंत नकद में वापस ले लिया गया और उसे वापस कर दिया गया. ईडी ने कहा कि उन्होंने फंड ट्रेल जांच भी की और पाया कि विनय अरन्हा ने ऋणों को डायवर्ट किया और करोड़ों रुपये नकद प्राप्त किए. उन्होंने पैरामाउंट इंफ्रास्ट्रक्चर, शब्बीर पाटनवाला, अश्विन कामत, दीप्ति एंटरप्राइजेज और अन्य को 34 करोड़ रुपये की ऋण राशि वितरित की.अधिकारी ने कहा, "इन सभी तथाकथित वेंडर्स ने स्वीकार किया है कि उन्होंने कोई काम नहीं किया और अरन्हा को कैश लौटा दिया. बार-बार मौका देने के बावजूद विनय अरन्हा ने कैश के इस्तेमाल का कोई हिसाब नहीं दिया है. यहां तक कि उनके स्कूलों में भी उन्होंने 2012 से राजस्व, व्यय और आय का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा और कोई आईटीआर दाखिल नहीं किया."