देहरादून:उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने राज्य के लोगों के साथ ऐसा मजाक किया है, जिसे शायद ही कभी कोई भुला पाएगा. हैरानी की बात यह है कि त्रिवेंद्र सरकार में उद्घाटन के नाम पर इस खेल को गैरसैंण से ही खेला गया. ग्राम पंचायतों को हाईटेक करने के नाम पर सरकार ने वाहवाही तो लूट ली. लेकिन अब जो सच्चाई ईटीवी भारत सबके सामने रखने जा रहा है वो उत्तराखंड में भाजपा सरकार और नौकरशाही की पोल खोल कर रख देगा.
इसे जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कहें, राजनीतिक घोटाला कहें या नौकरशाही की बेलगाम लापरवाही. जो भी हो लेकिन उत्तराखंड के लोगों के साथ जो छलावा हुआ है, वह चिंता पैदा करने वाला है. दरअसल, राज्य में गैरसैंण से जनता के साथ एक बड़ा छलावा किया गया है. हैरानी की बात यह है कि जनता के साथ हुए इस मजाक को गैरसैंण से ही राज्य स्थापना दिवस के मौके पर किया गया. मामला नौ नवंबर, 2020 का है, जब त्रिवेंद्र सरकार में ग्राम पंचायतों को ऑनलाइन करने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए एक महत्वपूर्ण योजना का शुभारंभ किया गया.
इस योजना के तहत ग्राम प्रधानों को ₹2500 कॉमन सर्विस सेंटर को देने के लिए अधिकृत किया गया. जिसका पैसा 14वें वित्त आयोग से ग्राम पंचायतों को मिलना था. योजना की शुरुआत राज्य स्थापना दिवस पर 2020 में गैरसैंण से की गई. सरकार द्वारा पंचायतों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाए जाने को लेकर खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया. वाह-वाही भी लूटी गई. सरकार ने अपनी पीठ भी थपथपाई, लेकिन इस योजना को लेकर अब ईटीवी भारत ऐसा खुलासा करने जा रहा है जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
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दरअसल, 9 नवंबर 2020 को जिस कंपनी के साथ अनुबंध के जरिए पंचायतों को ऑनलाइन करने की योजना का शुभारंभ किया गया था, वह अनुबंध 8 महीने पहले यानी 31 मार्च 2020 को ही खत्म हो चुका था. यानी गैरसैंण से तत्कालीन राज्य मंत्री धन सिंह रावत द्वारा जिस योजना का शुभारंभ किया गया, उसका धरातल पर कहीं अस्तित्व ही नहीं था. खास बात यह है कि इस योजना का शुभारंभ तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से करवाया जाना था, लेकिन समय की व्यस्तता के चलते उन्होंने यह जिम्मेदारी धन सिंह को सौंपी गई थी.
उद्घाटन के नाम पर इस बड़े गड़बड़झाले को लेकर जब ईटीवी भारत ने त्रिवेंद्र सिंह रावत से पूछा तो उन्होंने कहा कि जो सवाल ईटीवी भारत कर रहा है वह वाकई बेहद गंभीर हैं. यदि ऐसा हुआ है तो इस पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा इस संबंध में वे मुख्यमंत्री से भी बातचीत करेंगे.
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क्या थी योजना:
दरअसल, इस योजना को 662 ई-पंचायत सेवा केंद्र के रूप में शुरू किया गया था. विभिन्न प्रमाण पत्र बनाने को लेकर पहले तक यह सुविधाएं जिला मुख्यालय और तहसीलों में मिल रही थी. लेकिन पंचायतों तक भी इस सुविधा को देने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर और भारत सरकार के उपक्रम एसपीवी के साथ अनुबंध किया गया. इस दिशा में उत्तराखंड पंचायती राज विभाग ने भी 662 न्याय पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर खोलने के लिए अनुबंध किया, 31 मार्च 2020 में ही खत्म हो चुका था, लेकिन 8 महीने बाद जाकर इस योजना का शुभारंभ कर दिया गया.