हैदराबाद : एक नए अध्ययन ने सार्स-सीओवी-2 के हवा में फैलने की पुष्टि की है. यह अध्ययन सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद और आईएमटेक, चंडीगढ़ के वैज्ञानिकों के एक समूह ने किया है. जिसमें पिछले अध्ययनों से सहमति जताते हुए कहा गया है कि बाहरी स्थानों की तुलना में बंद कमरे में हवा में अधिक सांद्रता पाई जाती है. सीसीएमबी की एक विज्ञप्ति में मंगलवार को यहां कहा गया कि कोरोनावायरस SARS-CoV-2 के प्रसार का सटीक तंत्र अब भी एक पहेली बना हुआ है. पहले सतहों से फैलने के बारे में सोचा गया था. बाद नें महामारी विज्ञानियों ने पाया कि महामारी के दौरान मास्क पहनने वाले देश कम गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे. हालांकि, हवा में संक्रामक कोरोनावायरस कणों को दिखाने वाले मात्रात्मक साक्ष्य काफी कम थे.
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इसके बाद जब जब वैज्ञानिकों ने अस्पतालों, बंद कमरों सहित कोरोना रोगियों के रहने वाले विभिन्न क्षेत्रों से एकत्र किए गए हवा के नमूनों से कोरोनावायरस की जीनोम सामग्री का विश्लेषण किया तो वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना रोगियों के आसपास हवा में वायरस का प्रसार होता है. इसके साथ ही परिसर में मौजूद रोगियों की संख्या के साथ कोरोना सकारात्मकता दर में वृद्धि हुई है. इसके बाद इस अध्ययन से SARS-CoV-2 के हवा में प्रसार होने की पुष्टि की गई. उन्होंने आईसीयू के साथ-साथ अस्पतालों के गैर-आईसीयू वर्गों में वायरस पाया. अध्ययन में हवा में व्यवहार्य कोरोनावायरस भी पाया गया जो जीवित कोशिकाओं को संक्रमित कर सकता है, और ये वायरस लंबी दूरी तक फैल सकते हैं.