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एक तरफ कोरोना का कहर दूसरी ओर ताबड़तोड़ रैलियां, राजनीति में सब जायज?

एक तरफ पूरे देश में कोरोना का प्रकोप बढ रहा है और जनता त्राहिमाम कर रही है. वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने की जिद में ताबड़तोड़ रैलियां भी हो रही हैं. आश्चर्य यह कि पीएम से लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम तक किसी ने एक बार भी जनता से अपील नहीं की कि वे कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन न करें. अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

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Published : Apr 15, 2021, 8:05 PM IST

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नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने यह साफ कर दिया है कि बाकी के चार चरण के चुनाव पश्चिम बंगाल में पूर्व शेड्यूल के अनुसार होंगे. इससे साफ है की रैलियों में फिलहाल कोई कटौती नहीं होने वाली है. लेकिन आने वाले वक्त में कोरोना से स्थितियां और बिगड़ सकती हैं. इतना ही नहीं यह सैकड़ों या हजारों की तादात में लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं.

इस मामले पर ईटीवी भारत से बातची में वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक शेखर अय्यर ने कहा कि जो अभी बिहार में हुआ, वहीं यहां भी हो रहा है. वहां भी सीएम की चुनावी रैली में 200 से ज्यादा लोगों को अनुमति नहीं होती थी लेकिन उसी चुनाव में हमने यह भी देखा लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव की रैली में सैकड़ों की भीड़ जुटती थी और प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा दी जाती थी.

चुनाव आयोग ले संज्ञान

शेखर अय्यर ने कहा कि यहां अभी चार चरणों का चुनाव बाकी है. ऐसे में कुछ लोगों की मांग है कि आगे के चरण रद्द कर दिए जाने चाहिए. लेकिन मुझे लगता है कि यदि प्रोटोकॉल को दोबारा फॉलो करके चुनाव कराया जाए जिस तरह बिहार में हुआ. यहां भी चुनाव आयोग को कोरोना मामलो की डिटेल लेनी चाहिए. शेखर अय्यर ने कहा कि जो आंकड़े आ रहे हैं वे बताते हैं कि जहां चुनाव नहीं हैं वहां ज्यादा मामले हैं.

राहुल की रैली पर सवाल नहीं

इस सवाल पर कि आखिर प्रधानमंत्री या गृह मंत्री लोगों से मास्क लगाकर या सोशल डिस्टेंसिंग के तहत रैलियों में आने की अपील नहीं कर रहे हैं. इस पर शेखर का कहना है कि यह सवाल तो उस समय भी उठाए जाने चाहिए थे जब तेजस्वी यादव बिहार में रैली कर रहे थे. राहुल गांधी केरल में रैली कर रहे थे, तमिलनाडु में और बाकी राज्यों में भी इसी तरह रैलियों में भीड़ जुट रही थी. वहां पर भी यह सवाल उठाया जाना चाहिए था लेकिन सवाल सिर्फ पश्चिम बंगाल में ही उठाए जा रहे हैं.

राजनीतिक मुद्दा बना रहा विपक्ष

शेखर ने कहा कि स्वास्थ्य की आड़ में राजनीति करना सही नहीं है. स्वास्थ्य को राजनीतिक पार्टियां मुद्दा बनाने लगी हैं. दिल्ली में भी जिस तरह से कर्फ्यू लगाने की बात की गई है वह ना भी है और हां भी है. ऐसे लॉकडाउन का क्या फायदा जिसमे सिनेमा हॉल में 30% लोग जा सकते हैं. महाराष्ट्र में चुनाव नहीं है बावजूद वहां पर लॉकडाउन के तहत आर्थिक गतिविधियां खुली रखी गई हैं. जबकि कोरोना के मामले में बेतहाशा वृद्धि हो रही है.

यह हैं कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात

असम में 14 दिन पहले कोरोना वायरस के 532 मरीज थे जो बढ़कर 3398 हो गए हैं. वहां 16 से 31 मार्च तक जहां सिर्फ 6 लोगों की जान गई वहीं 14 दिनों में अब तक 15 मौतें दर्ज हो चुकी हैं. चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में 14 दिन के अंतराल में ही मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है.

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पश्चिम बंगाल में 14 दिन के पहले 16 से 31 मार्च के बीच 8000 मरीज थे जो अब बढ़कर 41927 हो गए हैं. मार्च में जहां 32 लोगों की जान गई थी वही इन 14 दिनों के अंदर 127 लोगों की मौत हो चुकी है. बावजूद इसके राज्य सरकार दावा कर रही है सारे प्रोटोकॉल अपनाए जा रहे हैं.

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