सागर : कोरोना सतह पर भी रह सकता है, कोरोना हवा से भी फैल रहा है, तो फिर सवाल उठता है कि क्या कोरोना पानी में भी जिंदा रह सकता है. सागर में कोरोना की रफ्तार को देखते हुए सागर के प्रशासनिक अधिकारियों के मन में भी ये सवाल आया. जब इतना गंभीर सवाल किसी के जेहन में आया तो तत्काल उसका जवाब खोजने की कोशिश की जाने लगी. जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों की सहमति से राजघाट परियोजना के पानी का टेस्ट किया गया. पानी का कोरोना टेस्ट करने का मकसद ये जानना था कि आखिर शहर में सप्लाई हो रहे पानी से तो कोरोना नहीं फैल रहा है.
सप्लाई के पानी का कोरोना टेस्ट
ये प्रदेश ही नहीं देश का भी पहला मामला हो सकता है जब किसी शहर में पेयजल आपूर्ति करने वाली परियोजना के पानी का कोरोना टेस्ट कराया गया हो. मन में पानी से कोरोना फैलने की शंका आने के बाद तत्काल शहर का प्रशासनिक अमला हरकत में आ गया. इसके बाद सागर शहर की पेयजल आपूर्ति करने वाली राजघाट परियोजना के पानी का कोरोना टेस्ट करवाने की कवायद शुरू की गई. सागर शहर की पेयजल आपूर्ति करने वाले राजघाट बांध के फिल्टर हाउस के क्लियर वाटर टैंक के पानी और नलों में सप्लाई होने वाले पानी के सैम्पल को जांच के लिए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब भेजा गया.
निगेटिव आई पानी की जांच रिपोर्ट
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब से आई जांच रिपोर्ट में सभी सैंपल कोरोना निगेटिव पाए गए हैं. लेकिन अचानक शहर की पेयजल परियोजना के पानी का कोरोना टेस्ट कराए जाने को लेकर तरह-तरह की बातें सामने आ रही है. इस मामले में प्रशासनिक अफसर जहां गोलमोल जवाब दे रहे हैं. वहीं विधायक शैलेन्द्र जैन का कहना है कि शहर में जिस तेजी से कोरोना फैल रहा था इसलिए एहतियात के तौर पर शहर में सप्लाई होने वाले पानी का टेस्ट करवाना पड़ा. इस टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आयी है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है और इस मामले में ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं है. नगर निगम आयुक्त आरपी अहिरवार का कहना है कि पानी में कोरोना वायरस नहीं होता है. राजघाट परियोजना में इस तरह की कोई स्थिति नहीं है. पानी पूरी तरह से फिल्टर होने के बाद सप्लाई किया जाता है.