नई दिल्ली :भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्यकर्मी भारी अव्यवस्था के बीच काम करने को मजबूर हैं.
पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट के नॉन कोविड हॉस्पिटल होने के बावजूद कोरोना के पहले दौर में यहां के दो कर्मियों की मृत्यु हुई जबकि दूसरे दौर में अब तक लगभग 70% कर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. दो स्वास्थ्यकर्मियों की जान कोरोना के कारण जा चुकी है. 128 बेड की सुविधाओं वाले अस्पताल में यहां छात्रों, डॉक्टर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों समेत लगभग 200 लोग काम कर रहे हैं.
मरीज को भर्ती करने से पहले आरटी-पीसीआर रिपोर्ट अनिवार्य है लेकिन एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि 5 अप्रैल को यहां एक महिला को भर्ती किया गया जिसका कोविड टेस्ट पहले नहीं कराया गया था. महिला की हालत बिगड़ने पर उसे आईसीयू में भी एडमिट किया गया जिसके बाद टेस्ट में वह कोरोना संक्रमित पाई गई.
कोरोना संक्रमित इस महिला की टेस्ट रिपोर्ट 18 अप्रैल को आई थी और तब तक उसका इलाज पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में ही चल रहा था. जाहिर तौर पर डॉक्टर्स समेत कई स्वास्थ्यकर्मी और अन्य लोग इस बीच सीधे संक्रमण के बीच रहे.
यहां कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों का आरोप है कि उनके बार-बार दबाव बनाने के बाद ही महिला को अलग अस्पताल में शिफ्ट किया गया और अस्पताल प्रसाशन ने तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की. बाद में एक अस्पताल में कार्यरत ओटी टेक्नीशियन और एक वार्ड अटेंडेंट की मौत कोरोना के कारण हुई जबकि उसके बाद से अब तक 50% से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. उनमें से कुछ ठीक हो गए और कुछ लोग अब भी आइसोलेशन या उपचार की प्रक्रिया में हैं.
'गंभीर विषयों को भी नजरअंदाज किया गया'