तिरुवनंतपुरम :कोरोना की दूसरी लहर के साथ ही कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केरल के जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए उन्हें पैरोल पर छोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है. पैरोल की अनुमति देने के बारे में निर्णय लेने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. बता दें कि राज्य के विभिन्न जेलों में इस समय 6000 कैदी बंद हैं.
इसीक्रम में केरल सरकार ने उन सभी कैदियों को पैरोल की अनुमति देने का फैसला किया है जो इसके लिए गठित उच्च-स्तरीय समिति के मानक के अनुसार होंगे. इसके तहत 180 विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत दी गई. साथ ही अब तक दो चरणों में 917 कैदियों को रिहा किया जा चुका है.
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एक उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है, जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीटी रविकुमार, गृह सचिव टीके जोस और जेल डीजीपी ऋषिराज सिंह शामिल हैं. इस समिति के द्वारा ही व्यक्तिगत जमानत या बांड पर कैदियों को अंतरिम जमानत और पैरोल की अनुमति देने का फैसला किया गया है.
कोविड-19 के पहले चरण में, अकेले तिरुवनंतपुरम के पूजापुरा सेंट्रल जेल में 550 से अधिक कैदी बीमारी से पीड़ित थे. इस समय कोरोना की दूसरी लहर में नए वैरिएंट को देखते हुए जेल विभाग जेल परिसर के अंदर इसको रोकने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरत रहा है. हालांकि 5100 कैदियों के कोरोना टेस्ट कराए जाने पर 418 कैदी कोरोना पॉजिटिव मिले थे.
वहीं जेल में बंद बुजुर्ग कैदियों को कोरोना से होने वाली मौतों को रोकने के लिए कारागार विभाग ने पैरोल सहित अन्य उपायों पर जोर दिया था. इसी कड़ी में स्वास्थ्य विभाग के कोविड नियमों और प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए, अब तक सभी कैदियों को पैरोल पर रिहा कर दिया गया है. साथ ही उन्हें घरों में रहने का निर्देश दिया गया है.
जेलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
- पात्र कैदियों को पैरोल की अनुमति देने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए.
- वर्तमान कोरोना को लेकर जेलों की क्या स्थिति है
- बंदियों को लेकर कोविड संक्रमण की रोकथाम के क्या उपाय किए गए हैं.
राज्य भर में रिहा होने वाले कैदियों की कुल संख्या
- अपराधी (कैदी) : 1500
- विचाराधीन कैदी : 350
पैरोल के मापदंड
- पहले से पैरोल पर बंद कैदियों को तुरंत जेल लौटने की जरूरत नहीं है.
- कैदियों को 90 दिनों की पैरोल की अनुमति दी गई.
- पहली बार अपराधियों / गैर-हिस्ट्रीशीटरों के लिए पैरोल.
- दोषियों को 7 साल से कम की जेल की सजा पर विचार किया जाएगा.
- केवल एक मामले में शामिल लोगों के लिए पैरोल.
- विचाराधीन कैदी जिनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है.
- कैदियों को विशेष अवकाश की अनुमति दी गई है.
- देशद्रोह या नशीले पदार्थों (ड्रग्स) के मामलों में शामिल नहीं होने वाले अपराधी.
- 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष कैदियों के लिए पैरोल.
- 50 वर्ष से अधिक आयु की महिला कैदियों के लिए पैरोल