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बिहार में कोरोना से मरने वालों की संख्या एक दिन में 5458 से 9429 कैसे हुई?

बिहार में कोरोना से मरीजों की मौत के आंकड़ों में बड़ा उछाल के बाद स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. बुधवार को जारी आंकड़ों में 3951 और मृतकों की पुष्टि के बाद अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 10 हजार के आसपास पहुंच गई है. इस मामले पर सियासी बवाल भी शुरू हो गया है. सवाल है कि एक दिन में मौत का आंकड़ा 5458 से 9429 कैसे पहुंचा?

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Published : Jun 10, 2021, 12:55 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण से मरने वालों की संख्या कितनी है? तो सबका जवाब था 5458, लेकिन बुधवार को यह अचनाक 9429 हो गई. ऐसे में सबके मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि अचानक संख्या में 3951 की बढ़ोतरी कैसे हो गई?

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अप्रैल से मरने वालों की संख्या में लगभग छह गुना बढ़ोतरी
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण से बुधवार तक मरने वालों की 5458 की संख्या के अलावा सत्यापन के बाद अतिरिक्त 3951 अन्य लोगों की मौत के आंकडे जोड़े गए हैं. विभाग ने आंकड़े तो जारी कर दिए हैं लेकिन यह नहीं बताया गया है कि ये अतिरिक्त मौतें कब हुईं लेकिन प्रदेश के सभी 38 जिलों का एक ब्रेकअप उल्लेखित किया गया है.अगर ताजा आंकड़ों पर गौर करें तो कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 8000 के करीब है. यही नहीं, अप्रैल से मरने वालों की संख्या में लगभग छह गुना बढ़ोतरी हुई है.

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कोरोना से पटना में कुल 2303 मौतें
ताजा आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ राजधानी पटना में कुल 2303 मौतें हुईं हैं. वहीं, मुजफ्फरपुर जिला 609 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है. सत्यापन के बाद पटना में सबसे अधिक 1070 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं. इसके बाद बेगूसराय में 316, मुजफ्फरपुर में 314 और सीएम नीतीश कुमार के पैतृक जिला नालंदा में 222 अतिरिक्त मौतें जोड़ी गई हैं.

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स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के अनुसार- 'जिला स्तर पर कमेटी गठित की गई थी और पंचायतों से भी रिपोर्ट मंगवाया गया था. सभी जगहों से जानकारी मिलने के बाद मौत के आंकड़ों में 3951 लोगों की वृद्धि हुई है. बिहार में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 10000 की मौत हो चुकी है. ब्लैक फंगस से भी बिहार में अब तक 55 की मौत दर्ज की जा चुकी है. कुल 98 संक्रमित स्वस्थ हो चुके हैं और फिलहाल अभी 368 संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है.'

इसलिये उठ रहा है सवाल

स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में कोरोना से अब तक 9429 लोगो की मौत हो चुकी है. जबकि मंगलवार को जारी आंकडों के मुताबिक कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या 5,458 दर्ज की गई थी. आंकडों के मुताबिक सात जून को मरने वालों की कुल संख्या 5,424 थी.

इधर, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि कोरोना के कारण होनेवाली मौत की फिर से जांच कराई गई, जिससे यह आंकडा बढ़ा है. उन्होंने कहा कि मौत के नये मामलों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा 18 मई को गठित मेडिकल कॉलेजों में प्राचार्य और जिलों में सिविल सर्जनों की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर जोड़ा गया है.

उन्होंने बुधवार को बताया कि सामान्य रूप से प्रतिदिन कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़े एकत्र किये जा रहे हैं. इसके अनुसार सात जून तक राज्य में कुल 5,424 लोगों की मौत के आंकड़े मिले थे. सिविल सर्जनों और मेडिकल कॉलेजों द्वारा नये सिरे से कोरोना से होनेवाली मौत की पड़ताल की गई. अब राज्य में कोरोना से होनेवाली मौत का आंकड़ा 9,375 (सात जून तक) हो चुका है।

मौत के आंकड़ों पर सियासत

राज्य में अचानक मरने वालों की संख्या में हुई वृद्धि के बाद सियासत गर्म हो गई है. विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गृरुवार को अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है.

उन्होंने ट्वीट कर लिखा, '' नीतीश जी, इतनी झूठ मत बोलिए और बुलवाइए कि उसके बोझ तले दबने के बाद कभी उठ ना पाएं. जब फंसे तो एकदम से एक दिन में 4000 मौतों की संख्या बढ़ा दी. नीतीश सरकार मौतों का जो आंकड़ा बता रही है, उससे 20 गुणा अधिक मौतें हुई है। नीतीश सरकार ही फर्जी है तो आंकड़े भी तो फर्जी होंगे''

तेजस्वी यादव ने किया ट्वीट

इधर, जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव के ट्विटर हैंडल से सवालिया लहजे में ट्वीट कर लिखा गया, '' बिहार में मौत घोटाला ! पटना में कल 1000 से अधिक लोगों की कोरोना से मौत की क्या है सच्चाई? कहा जा रहा है कि पहले मौत के आंकड़ों को छुपाया गया था, अब उन्हें जारी किया गया है. आखिर यह खेल किसका है? स्वास्थ्य विभाग में मौत के आंकड़ों का घोटाला कौन कर रहा है?''

ऐसे हुई मौतों की गणना

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि 18 मई को ही बिहार सरकार ने कोरोना से होने वाली मौतों के आंकड़ों को लेकर जांच कराने का फैसला किया था. जिसके बाद दो टीमें बनाई गई थीं, जिन्होंने अस्पतालों में हुए मौतों और दूसरी जगहों जैसे आइसोलेशन सेंटर, होम आइसोलेशन, कोविड केयर सेंटर और अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में हुई मौतों का रिकॉर्ड तैयार करवाया गया.

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