नई दिल्ली : चीन में जिस तेजी से कोरोना फैल रहा है, एक बार फिर से पूरी दुनिया में इसके फैलने की आशंका बढ़ गई है. चीन के साथ ही अमेरिका, जापान और ब्राजील जैसे देशों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. क्योंकि चीन में सिर्फ सरकारी मीडिया ही रिपोर्ट प्रकाशित करती है, लिहाजा वहां से पूरी खबरें नहीं आ रहीं हैं. कुछ रिपोर्टों में बताया गया है कि चीन में कोरोना संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा भयावह है. महामारी विशेषज्ञ एरिक फिगल डिंग का दावा है कि चीन की आधी आबादी कोरोना से संक्रमित हो सकती है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के अस्पताल पूरी तरह से फुल हैं. मरीजों को जगह नहीं मिल रही है. उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है. दूसरी ओर जिनकी मौतें हो रही है, उनके परिजन अंतिम संस्कार के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. यह स्थिति तब है जबकि चीन में प्रति 10 हजार की आबादी पर 22 डॉक्टर हैं. भारत में प्रति 10 हजार की आबादी पर मात्र 12 डॉक्टर हैं. भारत जीडीपी का मात्र दो फीसदी स्वास्थ्य पर खर्च करता है, जबकि चीन सात फीसदी तक खर्च करता है.
'द इकोनॉमिस्ट' में प्रकाशित हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, लोगों के संक्रमित होने की दर और अन्य परिस्थितियों के अध्ययन के आधार पर लगभग 15 लाख चीनी नागरिकों की मौत की आशंका जतायी गयी है. ये आंकड़े अन्य हालिया आंकड़ों से भी मेल खाते हैं, जिनमें द लांसेट पत्रिका की पिछले सप्ताह की एक रिपोर्ट भी शामिल है. इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि चीन में पाबंदियों में ढील दिये जाने के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से 13 लाख से 21 लाख लोगों की मौत हो सकती हैं.
द लांसेट की रिपोर्ट में कहा गया है, 'मौतों की संख्या का अनुमान लगाना मुश्किल है. यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि बुजुर्गों और कमजोर लोगों को कितनी संख्या में कोविड-रोधी टीके लगाये गये हैं.' इसमें कहा गया है, 'ब्रिटेन के सीरोलॉजिकल अध्ययनों से पता चला है कि देश में लगभग सभी में सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ एंटी-बॉडी हैं. चीन के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उनमें प्राकृतिक प्रतिरक्षा का स्तर निश्चित रूप से कम होगा. महामारी के दौरान देश में कोविड-19 के 20 लाख से भी कम मामले दर्ज किए गये थे.'
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर झेंगमिंग चेन ने नीति में बदलाव के समय पर सवाल उठाया है. चेन ने 'द लांसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन' को बताया, 'चीन ने कोविड पाबंदियों को हटाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किये. उन्हें टीकाकरण को बढ़ावा देना चाहिए था और मीडिया, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और आम जनता को तैयार करना चाहिए था. मैंने पिछले छह महीनों में इनमें से कुछ भी होते हुए नहीं देखा है.'
दूसरी ओर चीन का दावा है कि वायरस के म्यूटेशन पर नजर रखने के लिए अस्पतालों का एक नेटवर्क स्थापित किया है. साउथ चाइना मॉनिर्ंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (चाइना सीडीसी) ने प्रत्येक शहर में एक अस्पताल और प्रत्येक प्रांत में तीन शहरों से बना एक डेटा संग्रहण नेटवर्क स्थापित किया है. रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि प्रत्येक अस्पताल, बाहर के मरीज और इमरजेंसी रूम में 15 मरीजों, गंभीर बीमारियों वाले 10 मरीजों और सभी मरने वाले मरीजों के नमूने एकत्र करेगा.
चाइना सीडीसी के मुताबिक, बीते तीन महीनों में 130 लोगों में ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट की पुष्टि हुई है हालांकि, इनमें से किसी की भी हालत गंभीर नहीं थी. इनमें बीक्यू 1 और एक्सबीबी स्ट्रेन से कई मरीज शामिल हैं जिन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर समेत अन्य देशों की यात्री की थी.
भारत में भी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि समय रहते ही कदम उठाने होंगे, अन्यथा यहां भी स्थिति बिगड़ सकती है. भारत में अब तक ओमिक्रॉन सबवैरिएंट बीएफ.7 के कुल तीन मामले पाए गए हैं, इसी वैरिएंट के कारण चीन में कोरोना के मामलों में तेजी से उछाल आया है. सूत्र के अनुसार, अक्टूबर में गुजरात बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर द्वारा बीएफ.7 के पहले मामले का पता चलने के बाद, उसी महीने एक और मामला सामने आया था और नवंबर में इस वैरिएंट का तीसरा मामला सामने आया था.