नई दिल्ली :अनुसूचित जाति के धर्मांतरितों को आरक्षण का लाभ दिलाने की मांग न केवल संविधान विरोधी और राष्ट्र विरोधी है बल्कि अनुसूचित जाति के अधिकारों पर डकैती है. उक्त बातें विश्व हिंदू परिषद (VHP) के संयुक्त महासचिव डॉ.सुरेंद्र जैन ( Joint General Secretary Dr. Surendra Jain) ने मीडिया से बातचीत में कहीं. उन्होंने धर्मांतरण के प्रभाव पर बोलते हुए बताया कि कैसे यह दलित समुदाय के अधिकारों को छीन रहा है. उन्होंने कहा कि देश में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के कई उदाहरण हैं जिनके साक्ष्य हैं. डॉ.जैन ने कहा कि मुस्लिम और ईसाई दोनों समुदाय के नेता उन लोगों के लिए आरक्षण का समर्थन करते हैं जो अब इस्लाम या ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए हैं और फिर आरक्षण का लाभ लेने की मांग की जा रही है जो राष्ट्र के लिए खतरा है.
उन्होंने कहा कि 1932 में पूना समझौत के तहत डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी ने अनुसूचित जातियों के आरक्षण पर सहमति जताई थी. लेकिन दुर्भाग्य से 1936 से ईसाई मिशनरी और मौलवी धर्मांतरित अनुसूचित जाति के लोगों के लिए सड़कों से लेकर संसद तक आरक्षण की मांग को लगातार उठा रहे हैं. विहिप नेता ने आगे दोहराया कि डॉ. अंबेडकर और गांधी दोनों ने तब इस मांग को खारिज कर दिया था.