नई दिल्ली/गाजियाबाद:आजकल के दौर में नौजवान रक्तदान करने से कतराते हैं. दरअसल, रक्तदान करने को लेकर आम लोगों में एक धारणा बनी हुई है. लोगों का सोचना है कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आती है. इससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन यह महज अफवाह है. रक्तदान करने से हार्ट अटैक समेत कई खतरों से बचा जा सकता है. साथ ही रक्तदान करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है. डॉ अरविंद डोगरा आज हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. वह अब तक 100 से अधिक बार रक्तदान कर कई अनमोल जीवन बचा चुके हैं.
पढ़ाई के दौरान मिली रक्तदान करने की प्रेरणा: डॉ अरविंद डोगरा गाजियाबाद के राजनगर स्थित हर्ष ईएनटी अस्पताल में बतौर फिजिशियन अपनी सेवाएं दे रहे हैं. डॉ डोगरा का कहना है कि डॉक्टरी की पढ़ाई के दौरान उन्हें रक्तदान करने की प्रेरणा मिली. उन्हें समझ आया कि रक्तदान करने से अनमोल जिंदगी बचाई जा सकती है. डॉ डोगरा का ब्लड ग्रुप ए नेगेटिव है जो कि बेहद कम लोगों का होता है. रक्तदान करने की शुरुआत डॉ अरविंद डोगरा ने सन् 1988 से की थी.
डॉ अरविंद डोगरा बताते हैं कि नब्बे के दशक में वह गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे थे. उस दौरान निजी अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं था. ऐसे में जब अस्पताल में कोई क्रिटिकल मरीज भर्ती होता था तो खून का इंतजाम करना बड़ी चुनौती होती थी. ऐसे में कई बार स्वयं रक्तदान करके रक्त की पूर्ति की साथ ही अस्पताल के स्टाफ को भी रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया.
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