चेन्नई: एक ताजा विवाद को हवा देते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राजभवन में राज्य के आधिकारिक प्रतीक चिन्ह के बिना पोंगल उत्सव के लिए निमंत्रण दिया. इसमें तमिलनाडु का भी जिक्र नहीं किया गया है और राज्य के आधिकारिक नामकरण को 'थमिझागा अलुनर' (तमिल में अलुनर गवर्नर है) के रूप में उल्लेख किया है. इस साल का निमंत्रण पिछले वर्ष के आमंत्रण के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें उनका पदनाम 'तमिलनाडु के राज्यपाल' के रूप में दिया गया है.
इस बदलाव को सबसे पहले मदुरै से मुखर माकपा सांसद सु वेंकटेशन ने देखा, जो साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भी हैं. दोनों आमंत्रणों को ट्विटर पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि यह अनजाने में नहीं, बल्कि राज्य के प्रतीक को बाहर करने का एक सचेत निर्णय था. राज्य के प्रतीक के तौर पर प्रसिद्ध श्रीविल्लिपुथुर श्री अंडाल मंदिर को माना जाता है. अंडाल एक श्रद्धेय वैष्णव संत कवि हैं और उनकी रचना थिरुपावई तमिल महीने मार्गज़ी (मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी) के दौरान मंदिरों और भक्तों के घरों में गाई जाती है.
वेंकटेशन ने कहा, 'भारत सरकार का प्रतीक चिह्न तीन स्थानों पर है. चूंकि राज्य के प्रतीक में तमिलनाडु है, इसलिए उन्होंने निमंत्रण में इसका इस्तेमाल नहीं किया है. क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि वह तमिलनाडु के करदाताओं के पैसे और अपने निवास स्थान का उपयोग करने से खुद को राहत देंगे?' राज्यपाल राज्य के नाम के मुद्दे पर बात कर रहे हैं, जिससे इस ज्वलंत विवाद को हवा मिल रही है. हालांकि तमिलनाडु और थमिज़गम समान हैं और एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं, पूर्व आधिकारिक है और इसका एक लंबा इतिहास है.