नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों (UP Assembly election 2022) के लिए मतदान अभी शुरू भी नहीं हुए और विवाद सामने आने लगे हैं. इस चुनाव में पोस्टल बैलेट का भी प्रयोग किया जा रहा है. सारा विवाद इसी को लेकर है. बता दें, आगरा के फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से एक वीडियो वायरल हो रहा है जो अधिकारियों के कान खड़े करने वाला है. वायरल हो रहे इस वीडियो में सरकारी अधिकारी पोस्टल बैलेट से वोट डलवाने एक गांव पहुंचे थे. इन अधिकारियों पर ग्रामीणों ने मनमाना वोट डलवाने का आरोप लगाया है.
पोलिंग पार्टी पर मनमाना वोट डलवाने का आरोप मामला सामने आने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेंगी. उन्होंने कहा कि ललितपुर से सहारनपुर तक, फर्जी पोस्टल बैलेट वोटिंग के लिए वरिष्ठ अधिकारियों ने कनिष्ठ कर्मचारियों के पहचान पत्र ले लिए हैं. हम इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा का नेता जितना बड़ा होगा उसका झूठ उतना ही बड़ा होगा. बीजेपी नेता खुद को भगवान मानते हैं.
इससे पहले पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर ट्वीट कर कहा था कि वृद्धों और दिव्यांगों से वोट डलवाने के मामले में फतेहाबाद विधान सभा में पोलिंग पार्टी पर मतदाता की इच्छा के विरुद्ध खुद ही मनमाना वोट डालने का आरोप लगा है. वहीं, दूसरा ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा कि बैलेट से वोट डलवाने में धांधली के मामले में एक प्रशासनिक अधिकारी का सरेआम ये कहना कि 'एक वोट से कुछ होता है क्या' बेहद गंभीर मामला है, चुनाव आयोग से अपेक्षा है कि ऐसे अधिकारियों को चिन्हित कर के तुरंत सस्पेंड किया जाए.
जानिए क्या है पूरा मामला
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट में चुनाव आयोग से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है. यह वीडियो दिव्यांग मतदाता सुरेंद्र की शिकायत के बाद सुर्खियों में आया. बता दें, गांव जगराजपुर के दिव्यांग सुरेंद्र ने पोलिंग पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह साइकिल पर वोट डालना चाहता था, लेकिन पोलिंग पार्टी ने उसका वोट बीजेपी में डलवा दिया. इस मामले को लेकर फतेहाबाद के जगराजपुर में मौके पर विरोध भी हुआ. यह विरोध स्थानीय गांव के लोगों ने किया. विरोध के बाद प्रशासनिक स्तर पर जांच पड़ताल की कार्यवाही शुरू कर दी गई और जांच पड़ताल में माइक्रो प्रेक्षक ने अपनी रिपोर्ट जिला निर्वाचन अधिकारी को दी है. माइक्रो प्रेक्षक अरुण कुमार गौड़ ने अपनी रिपोर्ट में घटना का जिक्र किया है.
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माइक्रो प्रेक्षक ने दिया बयान
वहीं, इस मामले पर माइक्रो प्रेक्षक अरुण कुमार गौड़ ने कहा कि वीडियो कैमरे की रिकॉर्डिंग के बीच मतदान करवाया गया है, जो लोग मतदान करने से मना कर रहे थे, उनसे हस्ताक्षर करवाए जा रहे थे. टीम जब गांव में पहुंची तो लोगों ने हंगामा कर दिया और टीम को घेर लिया. बड़ी मुश्किल से टीम बचकर बाहर निकली. इस पूरे घटनाक्रम में जिले के आला अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन वह तैयार नहीं हुए. बता दें कि कोरोना की वजह से चुनाव आयोग ने दिव्यांग और 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पोस्टल बैलेट से वोट डालने का फरमान जारी किया है. इसी फरमान के तहत गांव-गांव वोट डलवाए जा रहे हैं.