रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा जारी है. भगवान भोलेनाथ का यह धाम केदारनाथ मानवीय दखलअंदाजी और अव्यवस्थाओं के कारण बीते कई महीनों से चर्चाओं में है. वैसे तो बाबा भोलेनाथ का यह दिव्य स्थल अपने भक्तों की संख्या और मन को शांति देने वाले धार्मिक माहौल की वजह से हमेशा चर्चा रहता है, लेकिन इस साल यात्रा शुरू होने के कुछ वक्त बाद से ही कई कारणों से केदारनाथ की यात्रा विवादों में रही है. कभी बाबा के धाम में सोने की परत को लेकर विवाद सामने आ रहा है, कभी मंदिर के बाहर लगाए क्यूआर कोड को लेकर विवाद खड़ा हो रहा है तो वहीं कभी लोग इस मंदिर में अमर्यादित कार्य कर धाम को चर्चाओं में ला रहे हैं. वैसे औघड़दानी भोले शंकर के भक्तों की आस्था को इन विवादों से जरूर ठेस पहुंच रही है.
मंदिर समिति करती है देखरेख:केदारनाथ की व्यवस्थाओं को बनाने के लिए मंदिर समिति का गठन किया गया है. राज्य सरकार द्वारा बनाई गई इस समिति का काम होता है कि केदारनाथ-बदरीनाथ मंदिर की उन व्यवस्थाओं को देखे जिनकी वजह से भक्तों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो. मंदिर समिति का ये दायित्व भी बनता है कि मंदिर का रखरखाव, उसकी धार्मिक मान्यता और मर्यादा हमेशा बनी रहे. हालांकि बीते कुछ समय से मंदिर समिति और उसकी कार्यों को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं. मौजूदा समय में एक के बाद एक ऐसे दो विवादों ने जन्म लिया जिसके बाद मंदिर समिति को भी सामने आकर किसी मामले में सफाई तो किसी मामले में कार्रवाई की बात कहनी पड़ी.
नोट उड़ाने का है सबसे ताजा मामला:सबसे ताजा विवाद से शुरू करते हैं. भगवान केदारनाथ के गर्भगृह में एक महिला द्वारा नोट उड़ाने का वीडियो सामने आया था. वो महिला ज्योतिर्लिंग पर इस तरह नोट उड़ा रही थी जैसे किसी कार्यक्रम या व्यक्ति विशेष के ऊपर नोटों की बरसात कर रही हो. हैरानी की बात ये थी कि मंदिर में जिस वक्त ये कार्य हो रहा था उस वक्त मंदिर समिति से जुड़े पूजा पाठ करवाने वाले तीर्थ पुरोहित भी वहीं मौजूद थे. यह महिला आखिरकार कैसे इस तरह की हरकतें कर रही थी और क्यों इसे रोका नहीं गया इसको लेकर सवाल खड़े हुए और फिर विवाद भी खड़ा हुआ. सवाल ये भी उठे कि केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना व ध्यान इत्यादि करने को लेकर मौजूदा समय में बड़े सख्त नियम बनाए गए हैं, मंदिर में ज्यादा देर तक कोई भी श्रद्धालु नहीं रुक सकता क्योंकि भीड़ का दबाव ऐसा है कि भक्तों को तुरंत दर्शन करवाकर मंदिर के बाहर किया जाता है, लेकिन यह महिला ना केवल मंदिर में रुकी बल्कि नोटों की बरसात भी करती रही.
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केदारनाथ तीर्थ पुरोहित समाज के महामंत्री अंकित सेमवाल ने बताया कि वो महिला भक्त किन्नर है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के काम पवित्र स्थानों पर नहीं होने चाहिए. तीर्थ पुरोहितों ने ऐसे कृत्य पर कड़ी आपत्ति जताई. चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष और तीर्थ पुरोहित केदारनाथ संतोष त्रिवेदी ने इस प्रकार के वीडियो को आस्था के साथ खिलवाड़ बताया और सख्त कार्रवाई की मांग की. इसके साथ ही मंदिर की परंपरा को बरकरार रखने के लिए भीतर वीडियोग्राफी पर रोक लगाने की मांग भी उठाई. उधर, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने और विवाद बढ़ने के बाद के बाद मंदिर समिति ने तत्काल प्रभाव से अपनी किरकिरी होते देख इस मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए. बकायदा रुद्रप्रयाग के सोनप्रयाग थाने में महिला के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज भी किया गया.
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सोने की परत को लेकर विवाद:इसी जून महीने की शुरुआत में एक बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब केदारनाथ के कई तीर्थ पुरोहितों ने मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने की परत को लेकर सवाल खड़े कर दिए. तीर्थ पुरोहित समाज से आने वाले संतोष त्रिवेदी ने ये कहकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया कि मंदिर में लगा सोना पीतल हो गया है. संतोष त्रिवेदी का यह बयान तेजी से वायरल हुआ और इस पर बखेड़ा खड़ा हो गया. मंदिर समिति ने इस पर सफाई दी और यहां तक कहा कि सभी बातें भ्रामक और निराधार हैं. इतने में ही केदारनाथ धाम का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इसमें अंधेरे में कुछ लोग केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थित सोने की परत पर पॉलिस करते हुए दिखाई दे रहे थे. इस वीडियो के बाहर आने के बाद तो सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सिलसिला ही शुरू हो गया.
दरअसल, केदारनाथ मंदिर में महाराष्ट्र के भक्तों ने साल 2021 में अपनी श्रद्धानुसार सोना दान किया था और ये कहा था कि मंदिर में गर्भगृह के आसपास की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने में जितना भी खर्च आएगा वो देने के लिए तैयार हैं. जिसके बाद साल 2022 में इस काम को शुरू किया गया और बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने अपनी देखरेख में ही इस काम को पूरा करवाया था. लेकिन इस नए विवाद में मंदिर समिति को भी बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया. हालांकि, मंदिर समिति के अध्यक्ष का कहना है कि सोने की परत को लेकर जो विवाद खड़े किए जा रहे हैं वह निराधार और षड्यंत्र के तहत प्रचार प्रसारित किए जा रहे हैं. मंदिर समिति ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं.
केदारनाथ में QR Code से शुरू हुआ पहला विवादःयात्रा के शुरुआती चरण में जहां मंदिर परिसर में लगे बड़े से क्यूआर कोड को लेकर भक्तों ने मंदिर समिति की कार्यप्रणाली को सवालों के कटघरे में खड़ा किया. दरअसल, मंदिर के मुख्य गेट के सामने दान दक्षिणा लेने के लिए पेटीएम का बड़ा सा क्यूआर कोड लगाया गया था. जिस पर विवाद खड़ा हुआ तो मंदिर समिति ने ना केवल बोर्ड को हटाया बल्कि इस मामले में जांच के आदेश भी दे दिए थे. हैरानी तो तब हुई जब इस मामले का खुलासा हुआ और यह जानकारी निकलकर सामने आई कि इस मामले में मंदिर समिति ने क्यूआर कोड को लेकर जो अनभिज्ञता जाहिर की थी, वो सही नहीं थी. दरअसल, साल 2017 में एक अनुबंध के मुताबिक मंदिर समिति और पेटीएम के बीच समझौता हुआ था जिसमें केदारनाथ-बदरीनाथ सहित अन्य मंदिरों में भी ऑनलाइन या कहें डिजिटल दान की सुविधा भक्तों के लिए हो सके इसके लिए क्यूआर कोड लगाए गए थे.
हालांकि, 2017 से ही बदरीनाथ और केदारनाथ में इस तरह के क्यूआर कोड लगे हैं लेकिन वो कोर्ट बेहद छोटे और सीमित थे. लेकिन इस बार पेटीएम की ओर से मंदिर के मुख्य गेट पर बड़े-बड़े क्यूआर कोड लगाए गए तो विवाद खड़ा हो गया. विवाद इसलिए भी बढ़ गया था कि अगर मंदिर समिति ही शिकायत दर्ज करवाने की बात कर रही थी. ऐसा लगा था कि कहीं केदारनाथ धाम में डिजिटल दान के नाम पर कोई बड़ा फ्रॉड तो नहीं हुआ. लेकिन बाद में इस मामले का पटाक्षेप हो गया. यह बात सामने आई कि साल 2017 के अनुबंध के मुताबिक ही पेटीएम ने वहां पर क्यूआर कोड लगाए थे. लेकिन बड़े-बड़े होडिंग नुमा क्यूआर कोड लगाने की परमिशन नहीं दी गई थी. बाद में मंदिर समिति को इस मामले में बयान जारी करना पड़ा और कहा गया कि पेटीएम ने मौखिक रूप से गलती को स्वीकार किया है. इस मामले में भी खूब विवाद हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयान के तीर चले. बाद में कुछ इस तरह से मामला शांत हुआ.