नई दिल्ली : राष्ट्रपति को भेजे गए एक आमंत्रण पत्र पर विवाद शुरू हो गया है. इस आमंत्रण पत्र में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह पर 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया है. यह आमंत्रण जी-20 समिट के दौरान राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले रात्रि भोज को लेकर दिया गया है. कांग्रेस पार्टी ने इस पर आपत्ति दर्ज की है. वहीं देर शाम भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इंडोनेशिया यात्रा के संबंध में आधिकारिक जानकारी साझा की जिसमें उन्हें 'प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत' लिखा.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद एक में लिखा है, 'इंडिया देट इज भारत', 'राज्यों का समूह' होगा. रमेश ने कहा कि अब 'इंडिया' रहेगा ही नहीं, ऐसा लग रहा है कि वे राज्यों के समूह पर हमला कर रहे हैं.
इस मामले पर अभी तक सरकार की ओर से कुछ भी नहीं कहा गया है. लेकिन जिस तरीके से भाजपा नेता और भाजपा राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने टिप्पणी की है, उससे बहुत बड़ा संदेश छिपा है. असम के मुख्यमंत्री ने ट्विट में रिपब्लिक ऑफ भारत लिखा है.
भाजपा सांसद हरनाथ सिंह ने मांग की है कि हमें इंडिया की जगह पर भारत शब्द का प्रयोग करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अंग्रजों ने इंडिया शब्द को एक 'गाली' की तरह प्रयोग किया था, जबकि भारत हमारी संस्कृति का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि अगर इसके लिए संविधान में संशोधन भी करना पड़े, तो करना चाहिए. भाजपा महासचिव तरुण चुग ने कहा कि जयराम रमेश को भारत शब्द से क्यों आपत्ति है, इसे बताना चाहिए.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी ऐसी ही दलील दी है. उन्होंने कई मौकों पर कहा कि हमलोगों को इंडिया की जगह भारत नाम का इस्तेमाल करना चाहिए. भागवत ने कहा कि भारत नाम प्राचीन काल से ही चला आ रहा है, इसलिए इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती है.