तिरुवनंतपुरम : शेक्सपियर ने कहा था कि 'नाम में क्या रखा है', लेकिन केरल में सत्तारूढ़ सीपीएम के लिए यह बात इतनी आसान नहीं है जहां मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को उनके प्रशंसकों द्वारा 'कैप्टन' बुलाए जाने को लेकर पार्टी में तथा उसके बाहर विवाद पैदा हो गया है. कई लोगों का कहना है कि यह उपनाम किसी राजनीतिक संगठन को देना चाहिए न कि किसी व्यक्ति को.
केरल में चुनाव प्रचार और बैठकों के दौरान मुख्यमंत्री के कट्टर समर्थक उनके स्वागत में 'केरल का कैप्टन यहां है' या 'ऐसा कैप्टन जिसने संकट में केरल का नेतृत्व किया', जैसे कुछ नारों इस्तेमाल कर रहे हैं.
हालांकि वाम दल के आलोचकों का कहना है कि मार्क्सवादी पार्टी में किसी व्यक्ति को अपने चेहरे के तौर पर पेश करने या उसका प्रचार करने की परंपरा नहीं रही है, खासतौर से चुनावों के दौरान और इसके खिलाफ कोई भी कदम किसी व्यक्ति विशेष की पूजा की तरह है.
दिलचस्प बात यह है कि विजयन पार्टी में किसी व्यक्ति विशेष की पूजा करने के कट्टर आलोचक हैं.
उन्होंने इस बात को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन की कई बार आलोचना की थी.
'कैप्टन' कहे जाने को लेकर बहस हाल में तब शुरू हुई जब वरिष्ठ नेता और पार्टी के पूर्व राज्य सचिव कोदियरी बालकृष्णन ने एक पत्रकार के सवाल पर जवाब दिया.
उन्होंने कहा था, 'कैप्टन जैसा संबोधन लोगों की तरफ से आ रहा है. जहां तक सीपीएम का संबंध है तो उसमें हर कोई कॉमरेड है.'
ऐसे ही विचार व्यक्त करते और वाम मोर्चे के चुनावी नारे 'निश्चित ही, एलडीएफ' का जिक्र करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और कन्नूर के पूर्व जिला सचिव पी जयराजन ने कहा कि कोई व्यक्ति नहीं बल्कि पार्टी और वाम मोर्चा लोगों को आश्वासन दे रहा है.
साथ ही उन्होंने यह कहा कि जब लोग किसी के करीब होते हैं तो वे कई तरीके से अपना प्यार दिखाते हैं.