देहरादून:उत्तराखंड मेंविश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा इन दिनों जोरों पर चल रही है, लेकिन इस बार चारधाम यात्रा के दौरान कई विवाद सामने आ रहे हैं. हेली सेवा, यात्रा मार्ग में अव्यवस्था, यात्रियों की मौत सहित कई कारणों से चारधाम यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई है. वहीं, पिछले दिनों सोशल मीडिया में केदारनाथ में डिजिटल दान को लेकर मंदिर में लगाए गए QR कोड की खबर पर एक हफ्ते से विवाद जारी है. आखिर कहां से आया ये QR कोड और क्यों बदरी-केदार मंदिर समिति ने इसको लेकर शिकायत दर्ज करवाया? कौन है जिसने डिजिटल दान के केदारनाथ में QR कोड लगाया? इस पूरी खबर को लेकर जानिए ईटीवी भारत खास खबर.
केदारनाथ मंदिर के बाहर दिखा QR कोड:25 अप्रैल को केदारनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए. जिसके साथ ही केदारनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई. वहीं, 26 अप्रैल को बाबा केदारनाथ मंदिर का एक फोटो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें मंदिर के बाहर एक बड़ा सा पेटीएम का QR कोड लगा दिखा. इसके साथ ही सोशल मीडिया में यह खबर चलने लगी की अब भक्त केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान भी दे सकते हैं. केदारनाथ मंदिर के बाहर लगे QR कोड का होर्डिंग देखकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया आने लगी.
QR कोड की तस्वीर पर मचा घमासान:केदारनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर जैसे ही पेटीएम का बड़ा सा QR कोड की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, वैसे ही हंगामा मचना शुरू हो गया. लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई. किसी ने कहा आखिर दान के चक्कर में क्यों मंदिर की भव्यता और सुंदरता से खिलवाड़ किया जा रहा है. जबकि मंदिर समिति की गाइडलाइन अनुसार यूट्यूबर और रिल्स मेकर्स को मंदिर परिसर क्षेत्र में प्रतिबंधित किया गया है. इस तस्वीरों पर हंगामा मचा तो कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार और बीकेटीसी को घेरने का मौका नहीं छोड़ा. मामला बढ़ता देख मंदिर समिति भी सकते में आ गई.
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Paytm ने केदारनाथ में QR कोड को लेकर किया ट्वीट:केदारनाथ में डिजिटल दान को बढ़ावा देने के लिए पेटीएम की ओर से क्यूआर कोड लगाए गए थे, क्योंकि 26 अप्रैल को पेटीएम ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने केदारनाथ में डिजिटल दान के लिए इस क्यूआर कोड का इस्तेमाल की बात कही थी. पेटीएम ने ट्वीट में जानकारी दी कि भारत में क्यूआर और मोबाइल भुगतान के अग्रणी के रूप में हमने केदारनाथ मंदिर के द्वार पर डिजिटल दान को सक्षम किया है. अब भक्तों को 'डिजिटल दान' देते हुए पेटीएम क्यूआर कोड को स्कैन करते हुए देखा जा सकता है.
विवाद बढ़ने पर BKTC ने जताई अनभिज्ञता: केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान को लेकर लगाए गए पेटीएम की ओर क्यूआर कोड पर बदरी-मंदिर समिति ने अनभिज्ञता जाहिर की. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने यह कहा यह मामला बेहद गंभीर है. मंदिर समिति इसको लेकर चुप नहीं बैठेगी. इतना ही नहीं इसको लेकर अजेंद्र अजय ने मीडिया में बयान दिया कि बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में विभिन्न स्थानों पर क्यूआर कोड के माध्यम से दान वाले बोर्ड नहीं लगाए गए हैं. ये बोर्ड दोनों धामों में कपाट खुलने के दिन लगाए गए थे. बाद में बीकेटीसी सदस्यों द्वारा बोर्ड हटा दिए गया है. इस संबंध में शिकायत भी दर्ज करवाई गई है.
डिजिटल दान को लेकर लगे QR कोड से बढ़ी टेंशन:केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के अगले दिन बड़े-बड़े क्यूआर कोड कैसे मंदिर के गेट तक पहुंचे और किसने इसे लगाया. इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी. सोशल मीडिया में खबर फैलने के बाद 2 से 3 दिनों हल्ला होता रहा, लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की केदारनाथ धाम में क्यूआर कोड किसने लगाए. क्यूआर कोड लगाते समय वहां कौन लोग और मंदिर समिति के कौन से पदाधिकारी मौजूद थे ?किसके कहने पर यह क्यूआर कोड लगे. क्योंकि मंदिर के चारों तरफ दर्जनों कैमरे लगे हुए हैं. इसलिए न मामले को लेकर न तो मंदिर समिति और न ही पुलिस को किसी दिक्कतों का सामना करना था. बैक डेट में जाकर क्यूआर लगने का वीडियो देखा जा सकता था. जिससे साफ पता चल जाता कि जिस वक्त यह हार्डिंग लग रहा था, उस वक्त वहां पर कौन मौजूद था. किसकी मौजूदगी में यह QR कोड लगाए जा रहे हैं.
मामले को लेकर मंदिर समिति करता रहा बयानबाजी:केदारनाथ में QR कोड किसने और कब लगाया? इसकी छानबीन करने की जगह मंदिर समिति अपनी अनभिज्ञता जाहिर करने और सिर्फ बयानबाजी करने में लगा रहा. क्यूआर कोड विवाद को लेकर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा यह मामला बेहद गंभीर है. मंदिर समिति इसको लेकर चुप नहीं बैठेगी, लेकिन अजेंद्र अजय की बात से इत्तेफाक रखने वाले केदारनाथ मंदिर के कई पुरोहितों ने मंदिर समिति के अध्यक्ष को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए.