एर्नाकुलम: एसएफआई के राज्य सचिव पी एम अर्शो का कॉलेज परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद केरल में विवाद शुरू हो गया है. महाराजा कॉलेज, एर्नाकुलम के पुरातत्व विभाग में तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा का परिणाम जारी किया गया, जब नतीजे सामने आए तो एसएफआई के राज्य सचिव के नतीजों में ना ही ग्रेड था और ना ही अंक. लेकिन उन्हें पास करार दिया गया. इसके खिलाफ एर्नाकुलम महाराजा कॉलेज के केएसयू कार्यकर्ताओं ने प्राचार्य से शिकायत की. लेकिन प्रिंसिपल वीएस जॉय ने कहा कि यह केवल एक तकनीकी त्रुटि थी और जैसे ही इसका पता चला इसे ठीक कर लिया गया है और दोबारा से नतीजे जारी किए गए हैं.
प्राचार्य वीएस जॉय ने कहा कि परिणाम में ग्रेड अंकित किए बिना केवल पास दिखाया गया है, यह सिर्फ एक त्रुटि है. एनआईसी के संबंध में ऐसी गलती हुई है. लेकिन केएसयू का कहना है कि संदेह है कि रिजल्ट जारी होने के कई दिनों बाद भी इस तरह की गलती को सुधारा नहीं गया है. पीएम अर्शो का रिजल्ट तब और विवादित हो गया, जब महाराजा कॉलेज की पूर्व छात्रा और एसएफआई नेता के विद्या के फर्जी दस्तावेजों के बदौलत अतिथि शिक्षक के पद पर नियुक्ति की खबर आई.
कांग्रेस के केरल छात्र संघ (केएसयू) ने बुधवार को एसएफआई के एक पूर्व छात्र के खिलाफ फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र पेश कर नौकरी पाने के लिए कार्रवाई की मांग की. छात्रों ने राज्यपाल और राज्य के पुलिस प्रमुख को एक याचिका देकर इस बात की जांच करने का आग्रह किया कि एसएफआई के एक शीर्ष पूर्व छात्र कार्यकर्ता ने कैसे राज्य के कुछ सरकारी कॉलेजों में गेस्ट लेक्च रर के रूप में काम करने के लिए एक फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया.
के. विद्या अपने छात्र जीवन में सीपीआई (एम) समर्थित स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) की शीर्ष नेता थीं. यह मामला तब सामने आया जब वायनाड के गवर्नमेंट कॉलेज से एर्नाकुलम स्थित महाराजाज गवर्नमेंट कॉलेज के प्रिंसिपल को एक सत्यापन कॉल की गई, जिसमें पता चला कि विद्या ने 2018-19 और 2020-21 के दौरान अतिथि व्याख्याता के रूप में काम नहीं किया था, जैसा कि उसके दस्तावेजों में दावा किया गया है.