कोझिकोड (केरल) : कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) ने रविवार को कहा कि पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जारी हिंसा परेशान करने वाली है और इसे तुरंत रोकने की जरूरत है. वायनाड से सांसद गांधी ने कहा कि मणिपुर में हिंसा विभाजन, नफरत और गुस्से की एक विशेष प्रकार की राजनीति का सीधा परिणाम है. कांग्रेस नेता ने कहा, 'इसलिए, एक परिवार के रूप में सभी को एक साथ रखना महत्वपूर्ण है.' केरल की दो दिवसीय यात्रा पर आए गांधी रविवार की रात दिल्ली लौटेंगे.
यहां कोडेनचेरी में सेंट जोसेफ हाई स्कूल ऑडिटोरियम में सामुदायिक दिव्यांगता प्रबंधन केंद्र (सीडीएमसी) की आधारशिला रखने के बाद गांधी ने कहा कि हिंसा के परिणामस्वरूप हुए घावों को ठीक होने में कई साल लगेंगे. उन्होंने कहा, 'दुख और गुस्सा इतनी आसानी से दूर नहीं होगा.' कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मणिपुर में हिंसा उनके लिए एक सबक है कि जब आप किसी राज्य में विभाजन, नफरत और गुस्से की राजनीति करते हैं, तो क्या होता है. वायनाड के सांसद के रूप में अपनी सदस्यता बहाल होने के बाद गांधी पहली बार केरल के दौरे पर आए.
इससे पहले वायनाड में राहुल गांधी ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जनजातीय समुदायों को जंगलों तक सीमित करने की कोशिश करने और 'आदिवासी' की जगह 'वनवासी' कहकर उन्हें भूखंडों के मूल स्वामित्व के दर्जे से वंचित करने का रविवार को आरोप लगाया. वायनाड के सांसद गांधी ने कुछ दिन पहले राजस्थान में पार्टी की एक रैली को संबोधित करते हुए भी यही मामला उठाया था. उन्होंने राजस्थान में कहा था कि भाजपा जनजातीय समुदायों को आदिवासी की जगह वनवासी कहकर उनका अपमान करती है और उनकी वन भूमि छीनकर उद्योगपतियों को देती है.
गांधी ने रविवार को वायनाड जिले में मानंतवाड़ी क्षेत्र के नल्लूरनाड स्थित 'डॉ. अंबेडकर जिला मेमोरियल कैंसर सेंटर' में 'एचटी (हाई टेंशन) कनेक्शन' का उद्घाटन करने के बाद आरोप लगाया कि आदिवासियों को वनवासी कहने के पीछे एक विकृत तर्क दिया जाता है. उन्होंने कहा, 'यह आपको (आदिवासियों को) जमीन के मूल मालिक के अधिकार से वंचित करता है और इसका मकसद आपको जंगल तक ही सीमित रखना है.' गांधी ने कहा, 'इसका मतलब यह है कि आप जंगल से संबंध रखते हैं और आपको जंगल नहीं छोड़ना चाहिए.'
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह विचारधारा उनके दल को स्वीकार नहीं है, क्योंकि वनवासी शब्द जनजातीय समुदायों के इतिहास एवं परंपराओं को 'तोड़-मरोड़कर पेश' करता है और यह देश के साथ उनके रिश्ते पर एक हमला है. उन्होंने कहा, 'हमारे (कांग्रेस के) लिए आप आदिवासी हैं, भूमि के मूल मालिक हैं.' गांधी ने कहा कि चूंकि आदिवासी भूमि के मूल मालिक हैं, उन्हें भूमि एवं वन संबंधी अधिकार दिए जाने चाहिए और 'वे जो चाहें, उन्हें वह करने की कल्पना करने की अनुमति दी जानी' चाहिए. उन्होंने कहा कि इन समुदायों को शिक्षा, नौकरियों, पेशों इत्यादि में वे सभी अवसर दिए जाने चाहिए, जो देश में हरेक को दिए जाते हैं.