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कर्नाटक : उपभोक्ता को 500 रुपये देने में बैंक रहा विफल, 1.02 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश

कर्नाटक के धारवाड़ की उपभोक्ता अदालत (consumer court) ने इंडियन ओवरसीज बैंक के एक उपभोक्ता को उसके खाते में 500 रुपये वापस नहीं कर पाने पर बैंक को 1.02 लाख रुपये मुआवजा देने की आदेश दिया है. पढ़िए पूरी खबर....

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Published : Oct 15, 2022, 10:24 PM IST

consumer court order
उपभोक्ता अदालत का आदेश

धारवाड़ (कर्नाटक): जिला उपभोक्ता (consumer court) ने इंडियन ओवरसीज बैंक को एक उपभोक्ता को उसके खाते में 500 रुपये वापस करने में विफल रहने पर 1,02,700 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. मामले में बैंक के द्वारा एटीएम लेनदेन के लिए ग्राहक से 500 रुपये गलत तरीके से डेबिट किए गए थे. घटना के मुताबिक 28 नवंबर, 2020 को इंडियन ओवरसीज बैंक की शाखा के उपभोक्ता धारवाड़ के वकील सिद्धेश हेब्बली ने एटीएम में अपने एटीएम कार्ड से 500 रुपये निकालने की कोशिश की. लेकिन उनके बचत खाते से डेबिट होने के बावजूद एटीएम से पैसा नहीं आया. रुपये नहीं आने पर वह पास के एटीएम में गए और 500 रुपये निकाल लिए. लेकिन उन्होंने जो पैसा पहला डेबिट था वह उनके खाते में वापस जमा नहीं आया. इस पर हेब्बली ने इसकी शिकायत 02 दिसंबर, 2020 को इंडियन ओवरसीज बैंक के शाखा प्रबंधक से की.

इसके बाद भी शाखा प्रबंधक के द्वारा सिद्धेश हेब्बली की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. इस पर हेब्बली ने बैंक पर सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए धारवाड़ के जिला उपभोक्ता अदालत में शिकायत दर्ज कराकर बैंक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई. वहीं अदालत के चेयरमैन ईशप्पा भूटे और सदस्यों वीए बोलाशेट्टी और पीसी हिरेमथ ने शिकायत की जांच की.

मामले में उपभोक्ता अदालत ने आदेश में कहा कि सप्तपुर, धारवाड़ में इंडियन ओवरसीज बैंक के शाखा प्रबंधक को फैसला सुनाया गया कि उनके द्वारा रिजर्व बैंक के निर्देशों के बावजूद कर्तव्य की अवहेलना की गई है. उपभोक्ता अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस अवधि के दौरान कार्यरत शाखा प्रबंधक एवं प्रशासनिक प्रभारी जनता के न्यासी बनें, लेकिन उन्होंने कर्तव्य की अवहेलना की है. अदालत ने दोषी बैंक अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की भी सिफारिश की.

आदेश में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के परिपत्र के अनुसार शिकायतकर्ता को 28 नवंबर, 2020 से 8 प्रतिशत की दर से ब्याज के साथ अस्वीकृति के लिए 500 रुपये और 677 दिनों की देरी के लिए 67,700 रुपये प्रति दिन 100 रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए. साथ ही, अदालत ने फैसला सुनाया कि सेवा की कमी के कारण शिकायतकर्ता को हुई परेशानी और मानसिक यातना के लिए 25,000 रुपये और मामले की लागत के लिए 10,000 रुपये सहित कुल मुआवजा 1,02,700 रुपये है का भुगतान करना होगा. धारवाड़ जिला उपभोक्ता अदालत ने इस फैसले के 30 दिनों के भीतर संबंधित उपभोक्ताओं को भुगतान करने का आदेश दिया है.

फैसले की घोषणा करने वाले जिला उपभोक्ता अदालत के अध्यक्ष ईशप्पा भूटे ने कहा कि सरकारी और निजी बैंक अपने ग्राहकों को रिजर्व बैंक के नियमों और अपने बैंकों के नियमों के बारे में विस्तार से बताएं. रिज़र्व बैंक द्वारा ग्राहकों को दी जाने वाली सुविधाओं और सुविधाओं का विज्ञापन करने के लिए, उनके बैंक परिसर में स्थानीय भाषा में एक प्रचार बोर्ड स्थापित किया जाना चाहिए.

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