हैदराबाद: कोरोना की दूसरी लहर के बीच रोजाना संक्रमण के लाखों मामले सामने आ रहे हैं. लेकिन बीते एक साल में कोरोना वायरस और उसके लक्षणों में हुए बदलाव से कई लोग कन्फ्यूज़ हैं. इस कन्फ्यूज़न की वजह से कई लोग लक्षणों से अनजान हैं तो कई लोगों को लक्षण होने के बावजूद समझ नहीं आ रहा कि क्या करें. इसकी वजह वो डर भी है जो कोरोना की दूसरी लहर का वो कहर भी है जिसकी बदौलत हर 24 घंटे में 3 लाख से ज्यादा मामले भी सामने आ रहे हैं और अप्रैल महीने में अचानक मौत का आंकड़ा भी बढ़ा है.
कोरोना वायरस के लक्षणों से लेकर इलाज तक के ऐसे कई सवाल आपके भी मन में होंगे. ऐसे ही सवालों के साथ ईटीवी भारत संवाददाता मोहम्मद तौसीफ अहमद ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. निर्मल कुमार गांगुली से खास बातचीत की.
सवाल- पिछले साल की शुरुआत में लोगों ने सिर्फ कोरोना वायरस का नाम सुना था लेकिन इस बार ये डबल म्यूटेंट या ट्रिपल म्यूटेंट की बात हो रही है. एक आम आदमी इसको कैसे समझे.
डॉ. गांगुली- कोई भी वायरस जब किसी शरीर में प्रवेश करता है तो उसमें बदलाव आता है जिसे म्यूटेशन कहा जाता है. म्यूटेशन की ये प्रक्रिया लगातार होती रहती है कई बार एक वायरस में 22 से 23 म्यूटेशन तक हो सकते हैं. कोरोना वायरस का मौजूदा म्यूटेशन पहले म्यूटेंट के मुकाबले अब ज्यादा तेजी से फैल रहा है और युवाओं को भी संक्रमित कर रहा है. इस म्यूटेंट से संक्रमित लोगों को तेज बुखार और शरीर में दर्द की शिकायत होती है.
सवाल- संक्रमण के मामले बढ़ने के कारण कई लोग अस्पताल की बजाय होम आइसोलेशन को चुन रहे हैं. आखिर वो क्या लक्षण हैं जिन्हें देखते हुए किसी को अस्पताल जाने या होम आइसोलेशन का फैसला लेना चाहिए.
डॉ. गांगुली- इस म्यूटेंट से संक्रमित व्यक्ति को पहले बुखार आता है फिर में खराश होती है और खांसी आती है. बदन दर्द, सिर दर्द भी इसके सामान्य लक्षण हैं लेकिन सांस लेने में दिक्कत होने पर समस्या गंभीर हो जाती है. ऐसे में आरटी-पीसीआर या एंटीजेन टेस्ट करवाना चाहिए. लक्षण होने के बावजूद अगर टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो दोबारा टेस्ट करवाएं. कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने पर सीआरपी और प्लेटलेट काउंट जैसी जांच करवानी चाहिए. इनसे कोरोना संक्रमण का स्तर पता चलता है. ऑक्सीजन लेवल 90 से कम आने पर अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है.