नई दिल्ली :केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (Enforcement Directorate) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा की 2018 की नियुक्ति आदेश में पूर्व तिथि से किये गये बदलाव का बचाव किया और कहा कि नियुक्तियों के मामले में याचिका दाखिल करके समानांतर प्रशासन चलाने की लगातार प्रवृत्ति बन गई है.
केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ से कहा कि सीवीसी की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी बैठक में मिश्र के कार्यकाल पर विचार किया था.
उन्होंने इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज के अदालत का रुख करने के अधिकार पर सवाल उठाया. सॉलिसीटर जनरल ने तर्क दिया, हम इस तरह के निहित स्वार्थ द्वारा इस तरह की जनहित याचिका दाखिल किए जाने की संभावना से इंकार नहीं कर सकते. अदालत के इस महान मंच का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है. ये संगठन पेशेवर जनहित याचिका दाखिल करने वाले संगठनों के रूप में मौजूद हैं. इसी संगठन द्वारा दाखिल की गई यह तीसरी याचिका है. समानांतर प्रशासन चलाने के लिए यह एक सुसंगत प्रवृत्ति है.
पीठ ने कहा, क्या आपको नहीं लगता कि जनहित याचिका लोकतंत्र में लोगों की आवाज उठाने के लिए महत्वपूर्ण हैं? मेहता ने जवाब दिया कि कुछ संगठन ऐसे हैं, जिनका एकमात्र उद्देश्य जनहित याचिका दाखिल करना है.