प्रयागराज :इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को उन जिलों में कम से कम दो से तीन सप्ताह के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाने और लोगों की भीड़ 50 तक सीमित करने की संभावना तलाशने का निर्देश दिया जहां कोरोना वायरस का संक्रमण खतरनाक ढंग से बढ़ रहा है.
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज और पृथक-वास केंद्रों की स्थिति को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया.
अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को दवा कंपनियों को कच्चा माल उपलब्ध कराके रेमडेसिवर दवा का पर्याप्त उत्पादन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया जिससे इस दवा की खुले बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. अदालत ने इस दवा की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को भी कहा.
पीठ ने कहा, 'कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ने से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है और चिकित्सा प्रणाली पूर्ण संतृप्ति की स्थिति में पहुंच गई है. हमें बताया गया है कि कोविड-19 अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं और अस्पतालों में कर्मचारियों और सुविधाओं की कमी है. स्थिति इतनी भयावह है कि यदि इससे सावधानीपूर्वक नहीं निपटा गया तो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह से बैठने की स्थिति में पहुंच सकती है.'
पीठ ने आगे कहा, 'एल-1 अस्पतालों में भर्ती मरीजों की सेवा के लिए सरकार तत्काल अनुबंध आधार पर कर्मचारियों की व्यवस्था करे. साथ ही प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर जैसे जिलों के एल-2 और एल-3 अस्पतालों एवं सभी जिला अस्पतालों के लिए एंबुलेंस में बाइपैप मशीन और हाई फ्लो कैनुला मास्क की आपूर्ति के लिए तत्काल इनकी खरीद करें.'