बेंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने विधि आयोग (Law Commission) को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून में सहमति की उम्र पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज और न्यायमूर्ति जी बसवराज की पीठ ने पांच नवंबर को दिए गए फैसले में कहा, '16 साल से ऊपर की नाबालिग लड़कियों के प्यार में पड़ने और भाग जाने तथा इस बीच लड़कों के साथ शारीरिक संबंध बनाने से संबंधित कई मामले सामने आए हैं. हमारा विचार है कि भारत के विधि आयोग को उम्र के मानदंडों पर पुनर्विचार करना होगा, ताकि जमीनी हकीकत को ध्यान में रखा जा सके.'
ये है मामला :अदालत ने पॉक्सो (POCSO) मामले का सामना कर रहे एक आरोपी को बरी करने को चुनौती देने वाली पुलिस की अपील पर सुनवाई की. यह पाया गया कि 17 वर्षीय लड़की 2017 में लड़के के साथ भाग गई थी. लड़की के माता-पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन सभी गवाह मुकर गए.
मामला जारी रहा, इस बीच दोनों ने शादी कर ली और अब उनके दो बच्चे हैं. हालांकि अदालत ने लड़के को बरी किए जाने पर सहमति जताते हुए विधि आयोग और कर्नाटक के शिक्षा विभाग को निर्देश दिए. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह पॉक्सो और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के बारे में जागरूकता की कमी है जिसके परिणामस्वरूप युवाओं द्वारा कई तरह के अपराध किए जा रहे हैं.
अदालत ने कहा, 'यह भी देखा गया है कि उपरोक्त कई अपराधों को नाबालिग लड़की और लड़के की ओर से ज्ञान की कमी के परिणामस्वरूप किए गए अपराध के रूप में माना जाता है. कई बार इसमें शामिल लड़का और लड़की या तो करीबी तौर पर जुड़े होते हैं या एक-दूसरे के सहपाठी होने के नाते एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं.'