'कांग्रेस दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर संसद में केंद्र के अध्यादेश का समर्थन नहीं करेगी'
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश का समर्थन नहीं करेगी. उन्होंने कहा कि हमारा रुख बहुत स्पष्ट है.
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल
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Published : Jul 16, 2023, 4:50 PM IST
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Updated : Jul 16, 2023, 9:22 PM IST
नई दिल्ली : कांग्रेस ने रविवार को साफ किया कि वह दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश का समर्थन नहीं करेगी और देश में 'संघवाद को ध्वस्त' करने के केंद्र सरकार के ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करेगी.
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल (K C Venugopal) ने कहा कि पार्टी का रुख साफ है कि वह राज्यपालों के जरिए विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में हस्तक्षेप करने के केंद्र के ऐसे किसी भी कदम का विरोध करेगी. साथ ही पार्टी ने संसद में दिल्ली अध्यादेश पर विधेयक आने पर इसका विरोध करने का फैसला किया है.
उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हम संघवाद को खत्म करने के केंद्र सरकार के प्रयासों का निरंतर विरोध कर रहे हैं. हम विपक्ष द्वारा शासित राज्यों को राज्यपालों के जरिए चलाने के केंद्र सरकार के रवैये का निरंतर विरोध कर रहे हैं. हमारा रुख बहुत स्पष्ट है, हम दिल्ली अध्यादेश का समर्थन नहीं करने वाले हैं.'
इसके साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) के सोमवार से बेंगलुरु में शुरू हो रही विपक्ष की दूसरी बैठक में भाग लेने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. 'आप' कहती रही है कि कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश पर अपना रुख स्पष्ट करे और उसके बाद ही वह विपक्षी दलों की अगली बैठक में भाग लेने पर फैसला करेगी.
इस बीच, 'आप' नेता राघव चड्ढा ने अध्यादेश पर कांग्रेस के 'स्पष्ट विरोध' का स्वागत किया और कहा कि 'यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है.'
वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस आमतौर पर संसद में आने वाले महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय लेने के लिए सत्र से ठीक पहले अपनी संसदीय रणनीति समिति की बैठक बुलाती है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश का समर्थन करेगी या विरोध करेगी, तो उन्होंने कहा, 'कल हमारी बैठक हुई और हमने पहले ही निर्णय ले लिया है.'
उन्होंने कहा कि दिल्ली अध्यादेश ही नहीं, देश की संघीय व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और राज्यपाल का इस्तेमाल कर राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने की किसी भी कोशिश का हम समर्थन नहीं करेंगे. वहीं दिल्ली अध्यादेश पर भी हम समर्थन नहीं करने वाले हैं. यह बहुत स्पष्ट है.'
दिल्ली अध्यादेश मुद्दे पर कांग्रेस द्वारा अपना रुख स्पष्ट करने के साथ, वेणुगोपला ने उम्मीद जताई कि AAP अब बेंगलुरु में विपक्षी दलों की आगामी बैठक में भाग लेगी. उधर, बीजेपी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, बेंगलुरु में खंडित 'विपक्षी बैठक' कर रही कांग्रेस को पहले कांग्रेस के भीतर मतभेदों को स्पष्ट करना चाहिए.
पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने का संकल्प लिया गया था. भाजपा नीत केंद्र सरकार मई में दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले और तैनाती पर अध्यादेश लेकर आई थी, जिससे उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का प्रभाव खत्म हो गया था, जिसमें सेवाओं पर नियंत्रण निर्वाचित सरकार को दिया गया था.
अध्यादेश में दानिक्स कैडर के ग्रुप-ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही और तबादलों के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान है. उच्चतम न्यायालय के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के तबादले और तैनाती का शासकीय नियंत्रण उपराज्यपाल के पास था.