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Faulty VVPAT Machines : कांग्रेस ने दोषपूर्ण 6.5 लाख VVPAT मशीनों के इस्तेमाल पर केंद्र और EC से मांगा जवाब

कांग्रेस ने करीब साढ़े छह लाख दोषपूर्ण वीवीपैट मशीनों (Use of faulty VVPAT machines) के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि सरकार और चुनाव आयोग को इस पर स्थिति साफ करनी चाहिए. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

Pawan Khera
कांग्रेस के मीडिया हेड पवन खेड़ा

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Published : Apr 21, 2023, 3:31 PM IST

नई दिल्ली :कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्र और चुनाव आयोग से 2019 के राष्ट्रीय और उसके बाद के राज्य चुनावों में 6.5 लाख दोषपूर्ण वीवीपैट मशीनों के इस्तेमाल की रिपोर्ट को स्पष्ट करने का आग्रह किया.

कांग्रेस के मीडिया हेड पवन खेड़ा ने कहा कि,'2018 में चुनाव आयोग द्वारा कुल 17.5 लाख वीवीपैट मशीनें खरीदी गईं. 2021 में उनमें से 37 प्रतिशत खराब पाई गईं, जिसके बाद चुनाव आयोग ने निर्माताओं को लिखा. ये मशीनें नवीनतम प्रकार की थीं और 2019 के लोकसभा और उसके बाद के विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल की गईं.'

उन्होंने कहा कि 'ये वीवीपीएटी मशीनें (VVPAT machines) ईवीएम और चुनावी प्रक्रिया में मतदाताओं के विश्वास को मजबूत करने के लिए थीं. हम पीएम, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से ऐसी मशीनों से संबंधित किसी भी संदेह को स्पष्ट करने का आग्रह करते हैं.'

चुनाव आयोग ने जिन तीन कंपनियों से दोषपूर्ण वीवीपीएटी मशीनें खरीदी थीं, उनमें ईसीआईएल हैदराबाद ने 4 लाख, बीईएल बेंगलुरु ने 1.8 लाख और बीईएल, पंचकूला ने 68,500 रुपये की मशीनें सप्लाई की थीं.

खेड़ा के मुताबिक सभी 6.5 लाख दोषपूर्ण VVPAT मशीनें, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का उपयोग करके डाले गए वोटों का एक पेपर ट्रेल प्रदान करती हैं, एक ही सीरीज की थीं और इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

खेड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों और मतदाताओं को दोष बताना चाहिए. एक मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, खरीद के 7 दिनों के भीतर मतदान अधिकारी को मशीनों को खराब पाए जाने पर मरम्मत के लिए भेजना होता है.

खेड़ा ने कहा कि इतना लंबा समय क्यों बीतने दिया और 2019 के बाद से विभिन्न चुनावों में वही दोषपूर्ण मशीनें इस्तेमाल की गईं. उन्होंने कहा कि सरकार और चुनाव आयोग को इस बात का ब्योरा देना चाहिए कि किस राज्य के चुनाव में ऐसी कितनी खराब वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया गया. सरकार को राजनीतिक दलों को बुलाकर इस मुद्दे पर विश्वास में लेना चाहिए.

कांग्रेस नेता के अनुसार, पुरानी पार्टी लंबे समय से खराब ईवीएम और वीवीपैट को लेकर चिंता जताती रही है. दो हफ्ते पहले, एनसीपी नेता शरद पवार ने दोषपूर्ण ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्ली में लगभग 14 विपक्षी दलों की बैठक की अध्यक्षता की थी. इससे पहले, कुछ नागरिक समाज समूहों ने भी ईवीएम के मुद्दे को देखने के लिए चुनाव आयोग को याचिका दी थी.

कांग्रेस ने भी कुछ विशेषज्ञों के साथ ईवीएम की समीक्षा की थी. बाद में पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था कि ईवीएम सॉफ्टवेयर पर चलती हैं, जिससे बाहरी तौर पर छेड़छाड़ की जा सकती है. पार्टी ने प्रवासी श्रमिकों के लिए रिमोट वोटिंग मशीनों के चुनाव आयोग के प्रस्ताव का भी विरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी संख्या का आकलन करने की प्रक्रिया संदिग्ध थी.

खेड़ा ने कहा कि 'आमतौर पर बीजेपी हम पर यह कहते हुए हमला करती है कि जब कांग्रेस चुनाव जीतती है तो ईवीएम में कोई खराबी नहीं होती है, लेकिन जब वह चुनाव हार जाती है तो पार्टी बेईमानी का रोना रोती है. क्या हमें केवल इसलिए मुद्दा उठाना बंद कर देना चाहिए कि हम एक राज्य में जीत गए हैं. हमने लंबे समय से चुनावों में पारदर्शिता की बात उठाई है.

खेड़ा ने कहा कि सरकार और चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि मतदाताओं के मन में ईवीएम और वीवीपीएटी के बारे में किसी भी तरह के संदेह को दूर किया जाए. सरकार को विपक्षी दलों की चिंताओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और उन्हें खारिज नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में चुनावी प्रक्रिया में मतदाता का विश्वास सबसे महत्वपूर्ण चीज है.

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