नई दिल्ली : कांग्रेस के शीर्ष नेता मध्य प्रदेश में 2018 के 75 प्रतिशत की तुलना में 76 प्रतिशत अधिक मतदान प्रतिशत से उत्साहित हैं और इसे भाजपा विरोधी वोट के रूप में व्याख्या कर रहे हैं. बता दें कि मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 17 नवंबर को मतदान हुआ है और इसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. इस बारे में एआईसीसी सचिव तथा मध्यप्रदेश प्रभारी शिव भाटिया ने कहा कि हालांकि चुनाव आयोग के अंतिम आंकड़े अभी आने बाकी हैं. हमारा अनुमान है कि राज्य में 76 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ. यह 2018 के चुनाव में हुए 75 प्रतिशत मतदान से अधिक है.
उन्होंने कहा कि अधिक मतदान प्रतिशत दर्शाता है कि कांग्रेस के पक्ष में सुनामी है. कांग्रेस नेता ने कहा कि यह भाजपा के खिलाफ एक वोट है. बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को लेकर लोग शिवराज सिंह चौहान सरकार से नाराज थे. हमने इन मुद्दों पर कार्रवाई का वादा किया था और मतदाताओं ने जवाब दिया है. वहीं एआईसीसी के मध्य प्रदेश प्रभारी सचिव सीपी मित्तल के मुताबिक दो मुद्दे कांग्रेस के पक्ष में गए. भाजपा द्वारा 2020 में भ्रष्ट तरीकों से उनकी सरकार गिराने के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य टीम को एकजुट रखा और उस स्तर पर रखा जहां कांग्रेस को भाजपा के बराबर के रूप में देखा जाता था. इससे पार्टी को पिछले तीन वर्षों से लड़ाई में बने रहने का मौका मिला.
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों ने एक टीम के रूप में काम किया और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद एक-दूसरे से नहीं लड़े, यह भी मतदाताओं को पसंद आया. भाटिया और मित्तल दोनों ने कहा कि इस बार अधिक महिला मतदाताओं ने पंजीकरण कराया. कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि कांग्रेस द्वारा गारंटीकृत 1,500 रुपये प्रति माह महिला भत्ते ने महिला मतदाताओं को आकर्षित किया. मित्तल ने कहा कि चूंकि पंजीकृत महिला मतदाताओं की संख्या अधिक थी, इसलिए इस बार उनका मतदान भी अधिक हुआ, जो एक अच्छा संकेत है.