नई दिल्ली :राजस्थान के उदयपुर में होने वाले कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर के दौरान पार्टी गठबंधन की बाधाओं पर विचार-विमर्श करेगी. इस दौरान पार्टी के 400 से अधिक नेता 2024 के होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करने के लिए मंथन करेंगे. हालांकि कांग्रेस के मौजूदा सहयोगी में महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और तमिलनाडु में द्रमुक शामिल हैं.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन की जरूरत होगी, लेकिन आगे की राह भी आसान नहीं होगी. इस बारे में एआईसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि किसी भी राष्ट्रीय विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस स्वाभाविक नेता है. उन्होंने कहा कि चिंतन शिविर में इस मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा. साथ ही पार्टी को पुनर्जीवित करने और अन्य सभी चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी.
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस के सामने एक प्रमुख चुनौती यह भी है कि वह कई राज्यों में खुद मजबूत मानते हुए क्षेत्रीय दलों के खिलाफ रहती है, ऐसे में उन दलों के साथ लोकसभा सीटों के साझा करने को लेकर फार्मूला तैयार करना कहीं ज्यादा आसान हो सकता है. इसी क्रम में पार्टी तेलंगाना की तरह कुछ राज्य में सख्त नहीं है. तेलंगाना में कांग्रेस सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति को अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखती है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में पार्टी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ है, जबकि पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस सीधे तौर पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी से लड़ती है.