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पेट्रोलियम कीमतें शतक के करीब, उत्पाद शुल्क के नाम 'मोदी टैक्स' चुका रहा देश : कांग्रेस - भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला

कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. जिसमें आरोप लगाया गया कि सरकार सिर्फ मुट्ठी भर कॉरपोरेट के लिए काम कर रही है. जिसकी कीमत आम लोग चुका रहे हैं.

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Published : Feb 16, 2021, 4:12 PM IST

नई दिल्ली :पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर उत्पाद शुल्क को मोदी टैक्स करार देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र पर हमला बोला है. कहा कि पिछले छह वर्ष आठ महीनों में सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाकर 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है.

मई 2014 में इंटरनेशनल क्रूड ऑयल की कीमत 108 डॉलर प्रति बैरल थी और दिल्ली में पेट्रोल 71.51 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा था, जबकि दिल्ली में डीजल 57.28 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था. अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें 1 फरवरी 2021 को प्रति बैरल 54.41 डॉलर थी और दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 89.29 रुपये प्रति लीटर है. जबकि दिल्ली में डीजल 79.70 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. उन्होंने कहा कि पेट्रोल पर 23.78 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 28.37 रुपये प्रति लीटर पर 820 प्रतिशत और पेट्रोल पर 258 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

उत्पाद शुल्क के नाम पर 'मोदी टैक्स' चुका रहा देश : कांग्रेस

उपभोक्ताओं से 20 लाख करोड़ की लूट

सरकार पर आरोप लगाते हुए पवन खेड़ा ने पूछा कि क्या हम किसी भी क्षेत्र में सरकार को 20 लाख करोड़ रुपये खर्च करते देखते हैं. चाहे वह कृषि, एमएसएमई हो या हमारी सरकार के लिए? क्या यह सरकार का घोर कुप्रबंधन या लापरवाही नहीं है? क्यों आम भारतीय को उस सरकार के लिए कीमत चुकानी चाहिए जो केवल मुट्ठी भर कॉरपोरेट्स के लिए काम कर रही है? कांग्रेस ने दावा किया कि अगर सरकार अतिरिक्त उत्पाद शुल्क वापस लेती है तो दाम कम हो जाएंगे. तब पेट्रोल के दाम 61.92 रुपये प्रति लीटर और डीजल 47.51 रुपये प्रति लीटर होगा.

कमियां छिपाने की कोशिश में भाजपा

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सरकार अपनी कमियों को छिपाने के लिए निर्मित विवादों के माध्यम से घृणा और भय-भड़काने का काम करती है. कहा कि राष्ट्र का ध्यान बहकाने के लिए यह सब किया जा रहा है. 2014 के बाद से ही भाजपा ऐसा करती आ रही है. वे हमें वास्तविक भावनाओं से दूर रखने के लिए ऐसा करते हैं. वे नहीं चाहते कि हम अपने जीवन और आजीविका पर उनके बुरे शासन के प्रभाव को देखें.

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पवन खेड़ा ने कहा कि हालांकि एक भावना है धर्म, जिसकी आड़ में हर एक भारतीय जाति, भाषा से बंट रहा है और पीड़ित है. सरकार जरूरी मुद्दों से बेपरवाह है.

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