नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा ग्रेट निकोबार द्वीप समूह परियोजना को दी गई पर्यावरण मंजूरी पर पुनर्विचार के लिए एक समिति गठित किए जाने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार की आलोचना की है. पार्टी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 'पर्यावरण का विनाश' शुरू कर दिया है और जो किया जा रहा है, वह 'पारिस्थितिकीय दु:स्वप्न' है. एनजीटी ने ग्रेट निकोबार द्वीप समूह में विभिन्न घटकों वाली मेगा परियोजना के लिए अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (एएनआईडीसीओ) को दी गई पर्यावरणीय मंजूरी पर पुनर्विचार के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है.
एक अंतरराष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल के विकास के साथ इस परियोजना में एक सैन्य-नागरिक दोहरे उपयोग वाले हवाई अड्डे, एक गैस, डीजल और सौर-आधारित बिजली संयंत्र तथा एक बस्ती का विकास भी शामिल है. समिति के गठन को लेकर एक मीडिया रिपोर्ट को टैग करते हुए कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने शुक्रवार को ट्वीट किया, "जब हम चिपको आंदोलन और 'प्रोजेक्ट टाइगर' के 50 साल पूरे होने तथा ‘साइलेंट वैली’ की रक्षा के 40 साल पुराने ऐतिहासिक फैसले की सराहना कर रहे हैं, तब मोदी सरकार ने ग्रेट निकोबार में ‘पर्यावरण का विनाश’ शुरू कर दिया है." रमेश ने कहा, "जो हो रहा है, वह पारिस्थितिकीय दु:स्वप्न है."