नई दिल्ली :केंद्र सरकार ने सोमवार को घोषणा की है कि 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक व्यक्ति को 1 मई 2021 से कोविड-19 का टीका दिया जा सकता है. यह टीकाकरण अभियान को उदार भी बनाता है क्योंकि निर्माता अब मुक्त होंगे और राज्य सरकारों व खुले बाजार में 50 प्रतिशत खुराक की आपूर्ति कर पाएंगे.
इसी मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्तमान वैक्सीन नीति में टीके की कमी सहित अन्य कमियों की समस्या को स्वीकार किया है. जबकि हम नीति में किए गए सकारात्मक बदलावों का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि विवरण से पता चलता है कि संशोधित टीका नीति महत्वपूर्ण मामलों में प्रतिगामी और असमान है.
पीएम केयर्स पर उठाए सवाल
पी. चिदंबरम ने आरोप लगाया कि इस नीति से सीमित संसाधनों वाले राज्य काफी नुकसान में होंगे. जिन राज्यों में पहले से ही जीएसटी राजस्व, कम कर विचलन, सहायता अनुदान में कमी और बढ़ी हुई उधारी में कमी आई है, उन्हें इस अतिरिक्त बोझ को वहन करना होगा. उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई जानता है कि पीएम केयर्स के तहत एकत्र किए गए हजारों करोड़ रुपये कहां हैं?
इस तरह से बढ़ेंगी मुनाफाखोरी
चिदंबरम ने समझाया कि हम उचित लाभ कमाने वाले किसी भी निर्माता के खिलाफ नहीं हैं. हालांकि अब केंद्र सरकार द्वारा 50% की पूर्ति की जाएगी और जबकि 50% राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों के लिए उपलब्ध रहेगा. जाहिर है तब वे बोली लगाएंगे. यदि बोली लगाने से कोई चूक गया? और यदि 3-4 राज्य सर्वोच्च बोली लगाने वालों के रूप में उभरते हैं तो निर्माता तीन राज्यों के बीच मात्रा का आवंटन कैसे करेगा? क्या इसका कोई सूत्र है? यह केवल मुनाफाखोरी को बढ़ावा देगा.
गरीबों के प्रति सरकार असंवदेनशील
यह उल्लेख करते हुए कि संशोधित वैक्सीन नीति के तहत राज्य उन गरीब वर्गों को टीकाकरण करने की जिम्मेदारी और लागत वहन करेंगे जो 45 वर्ष से कम आयु के हैं. भले ही वे न स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी हैं और न ही फ्रंटलाइन कार्यकर्ता. जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा परिभाषित किया गया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने गरीबों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह न करते हुए उन्हें केंद्र के टीकाकरण कार्यक्रम से बाहर कर दिया है. कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि संशोधित वैक्सीन नीति उत्पादन को बढ़ाने के लिए वैक्सीन निर्माताओं को पूंजी निवेश के लिए धन प्रदान नहीं करती है.
विदेशी टीकों पर निर्णय नहीं
चिदंबरम ने कहा कि यह नीति अन्य वैक्सीन निर्माताओं को अनुमोदित वैक्सीन बनाने और कुल आपूर्ति में वृद्धि करने के लिए अनिवार्य लाइसेंसिंग के लिए कानून में प्रावधानों को लागू नहीं करती है. एक अन्य बिंदु में विपक्षी दल ने सवाल किया कि जब संशोधित नीति विदेश निर्मित अनुमोदित टीकों के आयात की अनुमति देती है तो कोई स्पष्टता क्यों नहीं है कि क्या कोई विदेशी निर्माता अपने टीके के निर्यात के लिए सहमत हुआ है. यदि हां, तो क्या पर्याप्त मात्रा में वादा किया गया है कि निर्धारित समय पर आपूर्ति की जाएगी.
गरीब-अमीर के बीच बढ़ेगी दूरी
केंद्र पर हमला करते हुए चिदंबरम ने कहा कि संशोधित वैक्सीन नीति के तहत केंद्र सरकार जिम्मेदारी लेने से दूर भाग रही है. वह राज्यों पर हावी है और टीका निर्माताओं को मुनाफाखोरी के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इससे राज्यों के बीच असमानता बढ़ेगी. गरीब और अमीर भारतीयों के बीच दूरी बढ़ेगी. दुनिया की किसी भी सरकार ने अपने टीकाकरण कार्यक्रम को बाजार की ताकतों की बजाय अच्छे कारणों से निर्धारित किया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने जोर देकर कहा कि राज्य बहुत ही खराब वित्तीय स्थिति में हैं. उनके जीएसटी मुआवजे में देरी हो रही है. इसलिए नई टीकाकरण नीति पहले से ही परेशान राज्य सरकारों पर अधिक वित्तीय बोझ डालेगी. उन्होंने कहा कि जो भी हो लेकिन PM-CARES में एकत्र किए गए धन को राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए.
यह भी पढ़ें-राहुल गांधी कोरोना संक्रमित, संपर्क में आए लोगों से की अपील
जयराम ने कहा कि इसके साथ ही सेंट्रल विस्टा जैसे पूरी तरह से अव्यवस्थित परियोजनाओं को ऐसे समय में स्थगित कर दिया जाना चाहिए. ताकि कम से कम सार्वभौमिक टीकाकरण का पहला दौर पूरा हो सके. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकार जो 'वन नेशन, वन इलेक्शन', 'वन नेशन, वन टैक्स' में विश्वास करती है लेकिन यह 'वन नेशन, वन प्राइस' में विश्वास नहीं कर रही.