नई दिल्ली : कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को संपूर्ण रूप से बेचना चाहती है जिस कारण उसे 'बेचे जाओ पार्टी' कहना उचित रहेगा. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह दावा भी किया कि सार्वजनिक इकाइयों को बेचने का मकसद सिर्फ उनकी भूमि को हड़पना है.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मोदी सरकार के अंधाधुंध निजीकरण और भारत को बिक्री के लिए रखने की इसकी योजना अब भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गई है. मोदी सरकार अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के बाद पूरी तरह से इन बैंकों से पल्ला झाड़ने के लिए तैयार है – इस बिना सोची समझी रणनीति के खतरनाक परिणाम होंगे.'
उन्होंने कहा, '1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण करने के इंदिरा गांधी के साहसिक निर्णय ने न केवल कुछ निजी ऋणदाताओं के एकाधिकार को तोड़ा बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि बैंकिंग सेवाएं देश के अंतिम छोर तक पहुंचें.' सुप्रिया ने आरोप लगाया कि अब सरकार ने यह फैसला किया है कि वह सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी संपूर्ण रूप से बेच देगी.
कांग्रेस नेता ने कहा कि बीपीसीएल के सेल की प्रक्रिया रोक दी गई है. दो से तीन निवेशकों ने उससे अपना हाथ खींच लिया था. वे सरकार की फ्यूल प्राइस नीति से सहमत नहीं थे. इसलिए अनिश्चितता के वातावरण की वजह से निवेशक परेशान हैं. इसी तरह से पवन हंस लि. का सेल होल्ड पर है. ये हाल तब है जबकि जिस कंपनी ने इसका 51 फीसदी शेयर खरीदा था, वह खुद ही अपने एक पुराने डील को लेकर दिवालिया हो चुका है. एसीएलटी कोलकाता ने उसके खिलाफ अपना फैसला सुनाया है. कांग्रेस ने कहा कि पवन हंस सीमावर्ती इलाकों में लोगों के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मोदी सरकार इस तरह से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्रों का निजीकरण कर सुरक्षा के खिलवाड़ कर रही है. वह डीआरडी को भी कमजोर कर रही है.