नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण (pre budget economic survey presented) पेश किया. जिसमें कहा गया कि चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था के 9.2 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो महामारी पूर्व के स्तर पर सुधार का संकेत देती है.
साथ ही यह व्यापक वैक्सीन कवरेज, आपूर्ति-पक्ष में सुधार और नियमों में ढील के कारण भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए रखा गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि देश की जनता टैक्स वसूली के बोझ से परेशान है जबकि मोदी सरकार के लिए टैक्स कमाना बड़ी उपलब्धि है. राहुल ने कहा कि देखें, वे केवल अपना धन देखते हैं, लोगों का दर्द नहीं.
कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल (Congress spokesperson Jaiveer Shergill statement) ने आरोप लगाया कि वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण एक काल्पनिक फिल्म की तरह है, जो वास्तविकता से पूरी तरह से दूर है. आर्थिक सर्वेक्षण भ्रम के महल की तरह बनाया गया है, जो इस देश के गंभीर आर्थिक संकट को स्वीकार नहीं करता है. देश को बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती ईंधन की कीमतों, बढ़ती सिलेंडर की कीमतों, घटती बचत, कारोबार बंद होने की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सच्चाई यह है कि आर्थिक सर्वेक्षण देश को यह दिखाने के लिए एक आदर्श संकेतक है कि भाजपा सरकार अभी भी आवश्यकता के बारे में पूरी तरह से इनकार करने की स्थिति में है. जबकि उन्हें अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसे वापस पटरी पर लाने का काम करना चाहिए. शेरगिल ने जोर देकर कहा कि बीजेपी ने अपने द्वारा लगाए गए कैक्टस के कैनवास पर एक गुलाबी तस्वीर बनाने की बेताब कोशिश की है.
आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि भाजपा जन-समर्थक बजट पेश नहीं करेगी बल्कि एक खोखला दस्तावेज पेश करेगी. इस बीच पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इस मामले पर गहराई से विचार करते हुए कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण दोहराता है कि 2021-22 के अंत में अर्थव्यवस्था महामारी पूर्व स्तर 2019-20 तक पहुंच गई होगी. सीधी भाषा में कहें तो इसका मतलब है कि 31.03.2022 को जीडीपी उसी स्तर पर रहेगी, जैसी 31-3-2020 को थी. इसका मतलब है कि जहां हम 31-3-2020 को थे, वहां वापस जाने में दो साल लग गए.
उन्होंने यह भी बताया कि महामारी के इन दो वर्षों ने लोगों को गरीब बना दिया है क्योंकि लाखों नौकरियां चली गई हैं. 84% घरों को आय का नुकसान हुआ है. 4.6 करोड़ गरीबी में धकेल दिये गये हैं और भारत वैश्विक भूख सूचकांक में 116 देशों में से 104 वें स्थान पर है. चिदंबरम ने जोर देकर कहा कि यह पश्चाताप और परिवर्तन का समय है. दावा न करने और कोई बदलाव करने का समय है.
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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इसके बजाय सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अभी-अभी आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 को पढ़ना समाप्त किया है. यह अर्थव्यवस्था पर बात करने या सरकार को अच्छा महसूस कराने के लिए एक बहाना है. दुर्भाग्य से एक ठोस वस्तुनिष्ठ विश्लेषण की तरह नहीं है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2022 यानि मंगलवार को मोदी सरकार 2.0 का चौथा बजट पेश करेंगी. इस साल के बजट का फोकस महामारी के झटके से भारत को उबारने, वसूली की गति तेज करने और भविष्य में किसी भी प्रकोप के लिए इसे तैयार करने के लिए भारत की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने पर फोकस रह सकती है.