रायपुर :छत्तीसगढ़ केगरियाबंदमेंकरीब 40 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने जब बल्दी बाई के हाथों कंदमूल खाएं होंगे तो बल्दी बाई ने एक बार सोचा जरूर होगा कि अब उसकी किस्मत बदलने वाली है. लेकिन ये सोच सिर्फ सोच ही रह गई. विशेष पिछड़ी कमार जनजाति के परिवार की ना हालत सुधरी और ना ही उन्हें किसी तरह की मदद मिली.
बल्दी बाई वो नाम है, जिसे छत्तीसगढ़ में हर पुराना कांग्रेसी जानता है. बिंद्रा नवागढ़ की राजनीति करने वाला हर कांग्रेसी कभी न कभी इनकी चौखट पर जरूर आया है. इनके साथ फोटो भी खिंचवाई होगी. बल्दी बाई कांग्रेस की पोस्टर लेडी बन गईं. नेताओं ने राजीव गांधी के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर इनके साथ फोटो खींची. बड़े-बड़े पोस्टर लगाए. हर साल राजीव गांधी की जयंती और पुण्यतिथि पर बिंद्रा नवागढ़ के कांग्रेसी इन्हें शॉल और श्रीफल से सम्मानित करना नहीं भूले. लेकिन इन्हें जिस आर्थिक मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी वो इन्हें कभी नहीं मिली. आर्थिक तंगी के बीच परिवार चलाने की जद्दोजहद करते-करते पहले इनके पति और फिर एक बेटे की मौत भी हो चुकी है.
सिर्फ पोस्टर तक सीमित रहीं बल्दी बाई
शासन प्रशासन ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के चले जाने के बाद इस गांव की कोई खास सुध नहीं ली. विशेष पिछड़ी कमार जनजाति बाहुल्य इस इलाके में सरकारी सुविधाएं जैसे दम तोड़ती से नजर आती हैं. बीते सालों में कुछ सुधार जरूर हुआ है लेकिन गांव के लोगों को अब भी सरकारी योजनाओं का लाभ पूरी तरह नहीं मिल पाया है.
सिस्टम की लापरवाही ने ली बल्दी की बहू और पोते की जान
इतना महत्वपूर्ण परिवार होने के बाद भी सिस्टम की लापरवाही की वजह से परिवार की प्रसूता बहू और नवजात की जान चली गई. अभावों और परेशानियों के बीच जिंदगी जी रहे यहां के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आज भी जद्दोजहद करनी पड़ती है. बल्दी बाई की प्रसूता बहू के साथ भी ऐसा ही हुआ. प्रसव पीड़ा होने पर इलाज के लिए 102 एंबुलेंस से मैनपुर चिकित्सालय ले जाया गया. जहां से गरियाबंद रेफर कर दिया गया. गरियाबंद में पेट में बच्चे की मौत होने की बात कहते हुए रायपुर रेफर किया गया. इसी बीच महिला को अभनपुर के एक निजी चिकित्सालय ले जाया गया.
4 से 5 बार बदले एंबुलेंस
मैनपुर की एंबुलेंस में प्रसूता को गरियाबंद छोड़ा. यहां से एक एंबुलेंस पांडुका तक लेकर गई. दूसरी एंबुलेंस राजिम लेकर पहुंची. फिर राजिम से एक एंबुलेंस अभनपुर लेकर गई. पेट में नवजात की मौत के बाद बार-बार एंबुलेंस बदलने से महिला की हालत और ज्यादा नाजुक हो गई थी. रायपुर मेकाहारा रेफर करने के बावजूद प्रसूता को अभनपुर के एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया. वहां इलाज के नाम पर कुछ खानापूर्ति की गई. जहां महिला ने दम तोड़ दिया.
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