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कांग्रेस को व्यापक सुधारों की आवश्यकता है : सिब्बल - widespread reforms

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि भारत को पुनरुत्थानवादी कांग्रेस की जरूरत है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि वर्तमान में भाजपा के लिए कोई मजबूत राजनीतिक विकल्प नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया है. ऐसे में कांग्रेस देश में एक विकल्प पेश कर सकती है.

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Published : Jun 13, 2021, 5:35 PM IST

Updated : Jun 13, 2021, 7:54 PM IST

नई दिल्ली :कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा है कि भारत को पुनरुत्थानवादी कांग्रेस की जरूरत है, लेकिन पार्टी को यह दिखाने की जरूरत है कि वह सक्रिय है और सार्थक रूप से काम करने की इच्छुक है. कांग्रेस को जल्द ही संगठनात्मक चुनाव कराने, केंद्रीय, राज्य स्तरों पर व्यापक सुधार करने की आवश्यकता है, जिससे यह दिख सके कि पार्टी अभी भी मैदान में बनी हुई है और जीवित है.

उन्होंने कहा कि देश में राजनैतिक विकल्प की कमी है, देश को मजबूत, विश्वसनीय विपक्ष की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस में अनुभवी और युवाओं के बीच संतुलन बनाने की तत्काल आवश्यकता है.

सिब्बल उन जी-23 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे पत्र में पार्टी के एक सार्थक बदलाव की मांग की थी. इस पत्र ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था. उन्होंने उम्मीद जताई कि संगठनात्मक चुनाव, हाल ही में कोविड ​​-19 महामारी के मद्देनजर स्थगित कर दिए जाएंगे और जल्द ही फिर से संगठनात्मक चुनाव होंगे.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने स्वीकार किया कि वर्तमान में भाजपा के लिए कोई मजबूत राजनीतिक विकल्प नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया है. ऐसे में कांग्रेस देश में एक विकल्प पेश कर सकती है.

उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी नुकसान की समीक्षा के लिए समितियों का गठन करना अच्छा है, लेकिन जब तक कि सुझाए गए उपायों को लागू नहीं किया जाता है. इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

अल्पसंख्यक व बहुसंख्यक संप्रदायवाद खतरनाक

असम में ऑल इंडिया युनाइडेट डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) और पश्चिम बंगाल में इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (ISF) के साथ पार्टी के गठबंधन को 'सुविचारित नहीं'' बताते हुए सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस जनता को यह समझाने में ‍विफल रही कि देश के लिये अल्पसंख्यक व बहुसंख्यक संप्रदायवाद समान रूप से खतरनाक है.

उन्होंने हाल के विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिये इसे एक कारण के तौर पर रेखांकित किया.

संतुलन बनाने की आवश्यकता

ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) जैसे युवा नेताओं के भाजपा में जाने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'अनुभव व युवाओं के बीच संतुलन बनाने की तत्काल आवश्यकता है.' उन्होंने पूर्व में कहा था कि 'आया राम, गया राम' की राजनीति से अब यह 'प्रसाद की राजनीति' तक पहुंच गई है और पूछा कि क्या जितिन प्रसाद को भाजपा से प्रसाद मिलेगा. उन्होंने संकेत दिये कि नेता अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए पार्टी छोड़कर जा रहे हैं.

सिब्बल ने कहा, 'फिलहाल, निश्चित रूप से एक मजबूत राजनीतिक विकल्प की जगह खाली है. ठीक इसी संदर्भ में, मैंने अपनी पार्टी में कुछ सुधार के सुझाव दिये थे जिससे देश के पास एक मजबूत व विश्वसनीय विपक्ष हो.'

उन्होंने कहा, 'लेकिन इसका क्या नतीजा निकलता है इस बारे में भविष्यवाणी के लिये मेरे पास कुछ नहीं है. लेकिन मुझे विश्वास है, एक वक्त आएगा जब इस देश के लोग यह तय करेंगे कि उनके लिये क्या अच्छा है.'

अनुभवी नेता ने कहा कि भारत को फिर से उठ खड़ी होने वाली कांग्रेस की जरूरत है और पार्टी को अपनी चुनावी रणनीति बनाने के लिये सही लोगों को इसके लिये लगाने की जरूरत है जिससे वह सरकार की विफलता पर रणनीति तैयार कर सके.

उन्होंने कहा, 'हाल के विधानसभा चुनावों में गैर भाजपाई दलों की जीत ने भाजपा के अजेय न होने की बात दिखाई है और यह भी कि मजबूत विपक्ष होने पर उसकी हार की गुंजाइश है.'

सिब्बल ने कहा, 'भारत को कांग्रेस के पुनरुत्थान की जरूरत है. लेकिन उसके लिये पार्टी को यह दिखाना होगा कि वह सक्रिय, उपलब्ध और सजग है तथा अर्थपूर्ण रूप से भिड़ने के लिये तैयार है.'

उन्होंने कहा, 'ऐसा होने के लिये हमें केंद्रीय और राज्य स्तर पर सांगठनिक पदानुक्रम में व्यापक रूप से सुधार करने की जरूरत है जिससे यह दिखाया जा सके कि पार्टी अब भी एक ताकत है और जड़ता की स्थिति में नहीं है.'

देश भर में उभरते नए राजनीतिक समीकरणों के बीच पार्टी के पुनरुत्थान की उम्मीद व्यक्त करते हुए सिब्बल ने कहा कि चुनावी तौर पर खराब प्रदर्शन के बावजूद देश का मौजूदा रुख पार्टी की अखिल भारतीय मौजूदगी को देखते हुए उसे एक व्यवहार्य विकल्प के तौर पर उभरने का अवसर देता है.

महामारी से निपटने में सरकार अयोग्य

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) के दो दिन पहले मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात करने और तीसरे मोर्चे के उभरने की संभावनाओं के बीच सिब्बल ने कहा, 'महामारी से निपटने में मोदी सरकार की अयोग्यता और उसकी वजह से लोगों की नाराजगी को दिशा दिए जाने की जरूरत है.' उन्होंने कहा, 'राष्ट्रहित में कांग्रेस को खुद वैकल्पिक रास्ता सुझाने की जिम्मेदारी लेनी होगी और मुझे विश्वास है कि हम इसमें सफल होंगे.'

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद एंटनी समिति कि रिपोर्ट से कोई सबक लिया, सिब्बल ने कहा कि पार्टी इस बात पर जोर नहीं दे पाई कि सांप्रदायिकता के सभी रूप खतरनाक हैं.

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सिब्बल ने कहा, '2014 के लोकसभा चुनावों के ठीक बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बनाई गई एंटनी सिमिति ने सही इंगित किया था कि धर्मनिर्पेक्षता बनाम सांप्रदायिकता के मुद्दे पर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को नुकसान हुआ, इसे अल्पसंख्यक समर्थक माना गया जिसकी वजह से भाजपा को खासा चुनावी फायदा हुआ.' उन्होंने कहा, 'इतना ही नहीं कांग्रेस लोगों को यह समझाने में भी नाकाम रही कि अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक सांप्रदायिकता देश के लिये समान रूप से खतरनाक है. मेरी राय में, असम में एआईयूडीएफ और पश्चिम बंगाल में आईएसएफ के साथ गठबंधन के फैसले पर ठीक तरीके से विचार नहीं किया गया था.'

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर तत्काल पार्टी चुनाव कराने की मांग की थी और क्या वह इस कवायद को टालने से सहमत हैं, सिब्बल ने कहा, '22 जनवरी को सीडब्ल्यूसी की बैठक मई में नए पार्टी प्रमुख के चुनाव के कार्यक्रम पर चर्चा के लिये हुई थी. विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इसे एक महीने के लिये टाल दिया गया था.'

उन्होंने कहा, 'महामारी के कारण यह कवायद फिलहाल स्थगित है. मुझे उम्मीद है कि यह जल्द ही होगी.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुडुचेरी में हाल के चुनावों में पार्टी को मिली हार की समीक्षा के लिये समिति के गठन का स्वागत किया है लेकिन साथ ही वह कहते हैं, 'चुनावों में खराब प्रदर्शन के विश्लेषण के लिये समितियों के गठन का स्वागत है लेकिन जब तक उनके द्वारा सुझाए गए उपायों को स्वीकार कर उन पर अमल नहीं किया जाएगा, जमीनी स्तर पर इनका कोई प्रभाव नहीं होगा.'

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट अनुशंसाओं के साथ सोनिया गांधी को सौंप दी हैं जिस पर पार्टी आंतरिक रूप से चर्चा करेगी.

(पीटीआई भाषा)

Last Updated : Jun 13, 2021, 7:54 PM IST

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