नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सोमवार को कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि उसे 'गंभीर आत्मनिरीक्षण' करना चाहिए और इस बात पर विचार करना चाहिए कि राजनीतिक और कानूनी प्रणाली में क्या स्वीकार्य है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Union Minister Hardeep Singh Puri) की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने और अडाणी मुद्दे को लेकर कांग्रेस का आंदोलन तेज हो गया है.
राजघाट पर सत्याग्रह के एक दिन बाद सोमवार को कांग्रेस की ओर से काला दिवस मनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर पुरी ने कहा, 'वे वास्तव में कुछ गंभीर आत्मनिरीक्षण करने के हकदार हैं.' सूरत की अदालत के फैसले के बाद राहुल की संसद सदस्यता खत्म होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, 'आपको पता होना चाहिए कि राजनीतिक प्रणाली, कानूनी प्रणाली में क्या स्वीकार्य है. उन्हें (राहुल गांधी को) एक अदालत ने दोषी ठहराया है. इसके बाद स्वत: प्रक्रियाएं होती हैं.'
उन्होंने कहा, 'और, .... फिर इस तरह की नाटकीयता को अंजाम देते हैं. मेरा मतलब है कि भारत के लोग उन्हें इस आधार पर परखेंगे कि वे क्या हैं?' पुरी ने भगवान राम और वीर सावरकर का उल्लेख करने के लिए भी गांधी परिवार की आलोचना की. उन्होंने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, 'एक दिन पहले उन्होंने कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा क्योंकि मैं सावरकर नहीं हूं. क्या आप सावरकर जी जैसे लोगों के योगदान को जानते हैं? जैसा कि मैंने कहा, आपको घोड़े की दौड़ में भाग लेने के लिए एक ग... मिल रहा हैं.'
संसद परिसर में विपक्षी सांसदों का विरोध प्रदर्शन जारी रहने के बीच भाजपा सदस्यों ने गांधी द्वारा सावरकर और ओबीसी के कथित अपमान को लेकर भी विरोध प्रदर्शन किया. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Broadcasting Minister Anurag Thakur) ने कहा कि राहुल गांधी सपने में भी 'वीर सावरकर' नहीं हो सकते क्योंकि स्वतंत्रता सेनानी कभी भी महीनों तक विदेश में नहीं रहे और न ही उन्होंने अपने ही देश के खिलाफ विदेशियों से मदद मांगी.
उन्होंने कहा कि सावरकर बनने के लिए दृढ़ संकल्प और देश प्रेम की आवश्यकता है. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 'राहुल गांधी ने बहुत सही कहा है कि वह सावरकर नहीं हैं.' उन्होंने कहा, 'अगर राहुल वास्तव में सावरकर को जानना चाहते हैं, तो उन्हें अंडमान जेल जाना चाहिए और वहां समय बिताना चाहिए ताकि यह महसूस किया जा सके कि सावरकर वास्तव में कौन थे और उन्होंने किस तरह का बलिदान दिया था.'