बेंगलुरु : कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं-सिद्धारमैया और डी. के. शिवकुमार के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की दौड़ तेज होने के बीच नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को विधायक दल का नेता चुनने के लिए अधिकृत किया. कांग्रेस महासचिव (संगठन) के सी वेणुगोपाल ने कहा कि खड़गे द्वारा नियुक्त तीन केंद्रीय पर्यवेक्षक विधायकों की राय लेंगे, जिसे पार्टी अध्यक्ष को बता दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'सभी विधायकों की राय लेने की यह प्रक्रिया आज ही पूरी हो जाएगी.' सूत्रों ने कहा कि पर्यवेक्षक सोमवार तक अपनी रिपोर्ट खड़गे को सौंप देंगे.
कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की रविवार शाम यहां एक निजी होटल में हुई बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष को विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार दिया गया. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पहला प्रस्ताव प्रदेश कांग्रेस प्रमुख शिवकुमार ने पेश कर कर्नाटक के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं तथा लोगों को धन्यवाद कहा, जबकि एक लाइन का दूसरा प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा पेश किया गया.
बैठक के बाद सुरजेवाला ने कहा, 'विधायक आज रात के खाने के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षकों से मिलेंगे और उनके फैसले से पार्टी अध्यक्ष को अवगत करा दिया जाएगा, ताकि नए विधायक दल के नेता की नियुक्ति का फैसला लिया जा सके.' बैठक स्थल के बाहर सिद्धारमैया और शिवकुमार के समर्थकों ने नारेबाजी की तथा बैनर लहराए. इससे पहले दोनों नेताओं ने अपने वफादार विधायकों के साथ बैठकें कीं. दोनों पक्षों के बीच अपने नेता को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने के साथ एक पोस्टर युद्ध भी शुरू हो गया.
खड़गे ने सीएलपी नेता के चुनाव के लिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह और पार्टी के पूर्व महासचिव दीपक बाबरिया को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था. कांग्रेस विधायक दल की बैठक से पहले वेणुगोपाल के साथ कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने सिद्धरमैया और शिवकुमार के साथ चर्चा की.
सिद्धारमैया (75) और शिवकुमार (60) दोनों ने मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को छुपाया नहीं है. कांग्रेस चुनाव से पहले एकजुटता बनाने में कामयाब रही, लेकिन उसे मुख्यमंत्री चुनने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ उस एकता को बनाए रखने के लिए कठिन स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. कर्नाटक में पिछली विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को समाप्त होने से पहले नवनिर्वाचित विधानसभा का गठन किया जाना है. शिवकुमार को कांग्रेस पार्टी के लिए 'संकटमोचक' माना जाता है, वहीं निवर्तमान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्धरमैया राज्य भर में लोकप्रिय हैं.
अगर सिद्धारमैया सीएलपी नेता के रूप में चुने जाते हैं तो 2013-18 के बीच पांच साल तक इस पद पर रहने के बाद पार्टी के मुख्यमंत्री के रूप में यह उनका दूसरा कार्यकाल होगा. शिवकुमार ने सिद्धरमैया के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में कार्य किया था. नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक से पहले शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने सभी को साथ लेकर पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की और अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा.
शिवकुमार ने कहा कि जब 2019 के उपचुनाव में पार्टी की शिकस्त के बाद सिद्धारमैया और दिनेश गुंडु राव ने क्रमश: कांग्रेस विधायक दल के नेता तथा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था, तो कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन पर विश्वास जताया था तथा उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया था. शिवकुमार ने यह भी कहा कि जब वह धनशोधन के एक मामले में जेल में बंद थे, तो सोनिया गांधी अपना समर्थन जताने के लिए उनसे मिलने आयी थीं. सिद्धारमैया के साथ किसी तरह के मतभेद से इनकार करते हुए शिवकुमार ने कहा, 'हर कोई कह रहा है कि मेरे और सिद्धारमैया के बीच मतभेद हैं, लेकिन मैं आपको बता दूं कि रत्ती भर भी मतभेद नहीं है. मैंने किसी को मौका ही नहीं दिया। मैंने अपने आप को जमीन से जुड़ा हुआ रखा तथा अपने रास्ते पर चलता गया.'
कनकपुरा से विधानसभा चुनाव जीतने वाले शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने सभी को साथ लेकर चलते हुए दिन-रात मेहनत की है. कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय के प्रमुख मठ आदि चुंचनगिरी मठ के प्रमुख पुजारी निर्मलानंद नाथ स्वामीजी ने कांग्रेस नेतृत्व से प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाने की अपील की. वोक्कालिगा संघ ने समुदाय के संतों की एक बैठक आयोजित की, जहां कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से वोक्कालिगा समुदाय के शिवकुमार को राज्य का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त करने का अनुरोध करने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया.