तिरुवनंतपुरम:पेगासस जासूसी मामला सामने आने के बाद राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस पूरी तरह से सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है. केपीसीसी अध्यक्ष (KPCC president) के सुधाकरन समेत कई नेताओं ने निशाना साधा है.
सुधाकरन ने कहा कि 'भारतीय नागरिकों के मोबाइल फोन से डेटा लीक करने में सीधे तौर प्रधानमंत्री कार्यालय ( Prime Minister's Office) शामिल है. सूची में शामिल नामों से सरकार की मंशा साफ है.' सुधाकरन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा, 'बेगुनाही साबित करने की जिम्मेदारी केवल प्रधानमंत्री मोदी और पीएमओ पर है.'
केरल में कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने इजरायली पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके देश में प्रमुख हस्तियों के कथित फोन टैपिंग की व्यापक जांच की मांग की है. रमेश चेन्नीथला ने कहा कि राजनीतिक नेताओं और पत्रकारों के फोन कॉल का लीक होना बेहद गंभीर है. प्रधानमंत्री को इसका जवाब देना चाहिए. उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की.
मुस्लिम लीग के नेता और सांसद ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि बहुत गंभीर मुद्दा है इस मामले पर केंद्र सरकार का रुख 'रहस्यमय' है. उन्होंने कहा कि इसे आम जनता की निजता पर आक्रमण और जासूसी के रूप में देखा जा सकता है. ईटी मोहम्मद बशीर ने कहा कि सरकार को इस मामले की न्यायिक जांच के लिए तैयार रहना चाहिए.
भारत को उठानी पड़ी शर्मिंदगी : अलागिरी
टीएनसीसी अध्यक्ष केएस अलागिरी (KS Alagiri ) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर इज़राइल स्थित एनएसओ द्वारा विकसित किया गया था, जो केवल सरकारों के लिए काम करता है. इसने इस सरकार की भूमिका के बारे में गंभीर संदेह पैदा किया है. भारत के आईटी नियमों के तहत व्यक्तियों की जासूसी करना अवैध है. यह हमारे देश के लोकतंत्र पर खुली चोट है. उन्होंने कहा कि चुनी गई सरकार का पत्रकारों, न्यायाधीशों और विपक्ष के मोबाइल फोन की जासूसी कराना कहां तक उचित है. इससे भारत को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है. लोगों के लिए चौंकाने वाला है कि क्या एक लोकतांत्रिक देश में भी ऐसा होगा. यह मुद्दा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती पेश कर रहा है.