जयपुर. प्रदेश की राजधानी जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर आज वसुंधरा सरकार के राज में हुई अनियमितताओं के खिलाफ कांग्रेस नेता सचिन पायलट अनशन पर बैठ रहे हैं. इस सिलसिले में बीते महीने उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम एक पत्र जारी करते हुए राजे के राज में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में गंभीर आरोप लगाए थे और मुख्यमंत्री गहलोत को विपक्ष में रहते हुए किए गए जनता से वादों को याद दिलाया था. पायलट ने मांग की थी कि वसुंधरा सरकार के घोटालों की जांच की जाए. हालांकि पायलट के इस कदम को लेकर वे कांग्रेस के अंदर ही घिरते हुए नजर आ रहे हैं, पर वह क्या मामले हैं ? जिन्हें लेकर उन्होंने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. इसे ईटीवी भारत पर आप सिलसिलेवार समझ सकते हैं.
राजे के राज पर पायलट के आरोप
वसुंधरा राजे जब अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री थी. तब सचिन पायलट कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काबिज थे विपक्ष में रहते हुए उन्होंने चुनावी साल में राजे पर भ्रष्टाचार धांधली और सरकारी पैसे के दुरुपयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे. पायलट ने अपनी बातों में कहा कि भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस की ओर से विपक्ष में पुरजोर आवाज उठाई गई थी. उन्होंने मुख्यमंत्री को याद दिलाया कि तब सरकार आने पर जनता से प्रभावी जांच का वादा किया गया था और जनता ने इसी मत पर कांग्रेस को समर्थन दिया था. जिसके बाद दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी. सचिन पायलट की ओर से तैयार की गई फेहरिस्त में आरोपों की कड़ी खासा लंबी है
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1). साल 2014-15 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में 45 हजार करोड़ रूपये का "खान घोटाला उजागर हुआ. तब विपक्षी दल कॉंग्रेस ने इस प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाने के लिए सदन में और बाहर पुरजोर तरीके से आवाज उठायी थी. परन्तु सरकार में आने के बाद अभी तक उक्त प्रकरण की जांच सीबीआई को नहीं सौंपी गई है.
2). पायलट का दूसरा आरोप है कि विगत् भाजपा शासन के समय बजरी माफिया, शराब माफिया और भू-माफिया का आतंक चरम पर था. वसुंधरा के शासन काल में अवैध बजरी खनन से न केवल आम जनता की जेब खाली हो रही थी, बल्कि इन माफियाओं की कारगुजारियों के कारण अनेकों लोगों की मौत भी हुई थी. तब कॉंग्रेस ने प्रेस वार्ताओं और चुनावी सभाओं में इतने गम्भीर आरोपों के बाद भी तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में हुई माफिया लूट के असली दोषियों के विरुद्ध हमारी सरकार की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की जा सकी है.
3). पायलट का तीसरा आरोप है कि आईपीएल के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी को देश से फरार करने में भी राजे के हाथ था. ललित मोदी के Immigration संबंधी दस्तावेजों पर राजे गोपनीय गवाह बनी और साथ ही यह शर्त भी रखी कि इसकी जानकारी किसी भी भारतीय एजेन्सी को नहीं दी जानी चाहिए. इसी दौरान वसुन्धरा राजे से संबंधित कम्पनी के शेयरों को ललित मोदी द्वारा कई गुणा कीमतों पर खरीदने का खुलासा हुआ था. इस सम्पूर्ण प्रकरण में भारी भ्रष्टाचार नियमों के उल्लंघन व पद के दुरूपयोग के संगीन आरोप लगे थे. ऐसे गंभीर प्रकरण में भी हमारी सरकार कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर पायी है.
4). सचिन पायलट के आरोपों की घड़ी में चौथा इल्ज़ाम वसुंधरा राज्य सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान जयपुर की खासा कोठी से ईरानी कालीनों की चोरी का था। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निर्माण विभाग ने एफआईआर तो दर्ज करवायी थी, परन्तु उसके पश्चात् कांग्रेस की दो सरकार बनने के बावजूद हम आज तक जनता को यह बताने में विफल रहें कि वे कालीन आखिर कहां गए ?
5).वसुन्धरा राजे के प्रथम कार्यकाल में तत्कालीन सरकार पर 22 हजार करोड़ रूपये के घोटाले के आरोप लगे. वर्ष 2008 में कांग्रेस की सरकार बनने पर इसकी जांच के लिए माथुर आयोग गठित किया गया. परन्तु माननीय न्यायालय ने आयोग का गठन जांच आयोग अधिनियम के अंतर्गत न होने से आयोग को भंग कर दिया. उस समय भी ये सवाल उठे थे कि इस आयोग के गठन के नियमों की जानबूझकर अनदेखी करते हुए मात्र खानापूर्ति करने के लिए कागजी कार्यवाही की गई है.
6). मुख्यमंत्री गहलोत को लिखे पत्र में पायलट का छठवाँ आरोप है कि साल 2018 में वसुन्धरा राजे सरकार की ओर से सरकारी धन का दुरूपयोग करते हुए "राजस्थान गौरव यात्रा निकाली गई. यह कार्यक्रम पूरी तरह से राजनैतिक था, परन्तु राजे और उनके उच्च अधिकारियों ने उक्त राजनैतिक कार्यक्रम को सरकारी कार्यक्रम बनाकर जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे का जमकर दुरूपयोग किया.
7). पायलट के आरोपों की कड़ी में प्रदेश की विगत् कांग्रेस सरकार की ओर से पूर्ववर्ती भाजपा शासन के अंतिम 6 माह के कार्यों की समीक्षा के लिए केबिनेट की उप समिति का गठन तो किया गया, परन्तु इस उप समिति की ओर से कोई प्रभावी कार्यवाही जनता के समक्ष नहीं आ पायी.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम से जारी इस पत्र में सचिन पायलट ने कहा कि लोकतंत्र में आरोप लगाने वाले नेताओं को अपने भरोसे की रक्षा करनी चाहिए. नहीं तो चुनावी लाभ लेने के आरोप लगेंगे, तो जनता का नेताओं से भरोसा उठ जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे गंभीर मामलों में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस के नारे पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. इस पत्र में पायलट ने अंदेशा जताया था कि सरकार के रुख से सत्ताधारी दल पर परोक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राजे को बचाए जाने के आरोप भी लग सकते हैं. हालांकि पायलट ने कहा कि यह पत्र लिखने का मेरा उद्देश्य द्वेषतापूर्ण कार्यवाही करवाने का नहीं है. परन्तु जब गंभीर भ्रष्टाचार के मामले जनता के समक्ष उजागर हुए हैं और आपने और मैंने विपक्ष में रहते हुए आमजन के साथ मिलकर उनका विरोध भी किया है, तो हमारी सरकार बनने पर इन प्रकरणों कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है ? हमारी ऐसी क्या विवशता है, ऐसे क्या कारण है कि हम आज तक इन प्रकरणों में कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर पाये है ?