नई दिल्ली : कांग्रेस इस साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में वापसी करने की तैयारी कर रही है, वहीं पार्टी इस महासंग्राम से पहले अपने समर्थकों को एक साथ रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. पार्टी गारंटी पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है, जो लोगों से जुड़ने के लिए हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में उसके लिए एक वरदान साबित हुआ. कांग्रेस ने 12 जून को राज्य में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की, जब पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जबलपुर में एक जनसभा को संबोधित किया.
राज्य के लोगों को संबोधित करते हुए, प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की तर्ज पर पांच वादों की घोषणा की, जहां कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. नाम न छापने की शर्त पर एक कांग्रेसी नेता ने कहा कि पार्टी की गारंटियों ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में काम किया था, जहां वह हाल ही में जीती थी और पार्टी ने सत्ता में आने के बाद वादों को पूरा करना भी सुनिश्चित किया था, इस प्रकार मतदाताओं को स्पष्ट संदेश है कि ये केवल वादे नहीं हैं, बल्कि इन्हें धरातल पर उतारा भी जा रहा है.
पार्टी नेता ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ का उदाहरण भी दिया, जहां इसने चुनाव के दौरान लोगों से किए गए वादों को पूरा किया. उन्होंने कहा, 'इस तरह गारंटियों को पूरा करने का वादा पार्टी के लिए काम कर रहा है और हमें उम्मीद है कि यह एक बार फिर मध्य प्रदेश में काम करेगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ व पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह राज्य में अच्छा कर रहे हैं, पार्टी नेता ने कहा, दोनों नेताओं ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को दूर रखने का फैसला किया है कि पार्टी इस साल सत्ता में आए.
उन्होंने कहा कि कमलनाथ, जो पार्टी के राज्य इकाई प्रमुख भी हैं, जिलों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, दिग्विजय सिंह विधानसभा स्तर पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और वहां कार्यकर्ताओं को लामबंद कर रहे हैं. पार्टी नेता ने यह भी कहा कि दोनों नेताओं के बीच की समझ से कांग्रेस को भाजपा के गढ़ वाले इलाकों सहित ग्रामीण इलाकों में जमीन हासिल करने में मदद मिल रही है. पार्टी नेता ने यह भी कहा कि भाजपा के विभाजित घर और वहां उभर रहे कई गुट भी राज्य में सबसे पुरानी पार्टी को विधानसभा चुनाव से पहले जमीन हासिल करने में मदद कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह भाजपा में गुटबाजी है, जो बैजनाथ यादव सहित राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के कई नेताओं के पलायन का कारण बन रही है, जिन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़ दी थी, इस सप्ताह की शुरुआत में देश की सबसे पुरानी पार्टी में फिर से वापसी की. गौरतलब है कि सिंधिया ने कांग्रेस में एक विद्रोह का नेतृत्व किया था, उन्होंने अपने 22 वफादार विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए थे. इस प्रकार राज्य में 15 महीने पुरानी कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिर गई थी.